जिंदगी कभी आसान नहीं होती कभी खुशी कभी गम लेकर हमारे आगे पीछे परछाई की तरह चलती ही रहती है। कुछ पल के लिए हम इन सब से समझौता कर लेते हैं, अपने आप को संभाल लेते हैं, लेकिन कभी-कभी हम इतने निराश हो जाते हैं या कमजोर पड़ जाते हैं हालातों से कि इन सब का सामना करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता जैसा लगता है।धीरे-धीरे निराशा, तनाव में चले जाते हैं।"हां" ऐसा ही मेरे साथ हुआ था। काफी निराश हताश अपनी जिंदगी से जूझ रही थी। अपने आसपास के माहौल से परेशान, हताश थी। अपने आप में खोई अपने आप को ढूंढती रहती।चेहरे की हंसी-खुशी कहीं खो गई थी ।पल-पल जैसे जिंदगी बिखर सी गई थी। कुछ परेशानियां हमारी जीवन को पूरी तरह तहस-नहस कर गई थी।
मैं अपने आप को संभाल नहीं पाई थी और धीरे-धीरे तनाव ने मुझे अपने आगोश में ले लिया था। जिसे मैं भी शायद नहीं समझ पाई थी कि कब मैं इसके चंगुल में आ गई। मेरी परेशानी मेरे तनाव से कोई एक शख्स था जो बहुत परेशान रहता था। उसे मेरी फिक्र थी, मेरी चिंता थी, मुझे काफी समझाने की कोशिश की। मेरे घर के माहौल को बदलने की भी कोशिश की, बाहर घूमने के साथ-साथ बातों का दौर भी चलता था लेकिन फिर भी खामोशी मेरे साथ रहती थी।एक तनाव और कुछ परेशानी की वजह से मैं अपने आप में खोई रहती थी,बस रोना आता था हर बात पर, कुछ भी अच्छा नहीं लगता था।तनाव मुझे पुरी तरह जकड़ चुका था।
इसका पता था तो बस एक शख्स को जो मुझे उस परेशानी से बाहर निकालना चाहता था, लेकिन उसके इन प्रयासों का कोई फायदा नहीं क्योंकि वह पल दो पल या कुछ समय मेरे साथ बिता कर सकता था दिन भर तो नहीं।उसके जाने के बाद मैं फिर वही तनाव और वही परेशानी में अपने आप से जूझती रहती थी। मुझे निराशा और तनाव से बाहर निकलने की सलाह बार बार मिल रही थी। सचमुच कब एक विचार, एक शब्द या एक वाक्य हमारी जिंदगी बदल देते हैं हमें भी पता नहीं चलता उस समय हमारी प्रेरणा बनकर कोई आता है और हमारे दिल पर हमेशा के लिए एक अमिट छाप छोड़ जाता है। उनके शब्दों का जादू या यूं कहें उसके साथ, उसके विचार हमारे दिलों दिमाग पर छा जाते हैं और हम अपने आप को निराशा से बाहर निकालने की कोशिश करने लगते हैं।एक अनोखा आत्मविश्वास जगा कर मुझे भी निराशा से बाहर निकाला उसने ।उसे पता था काफी सालों पहले मैं कुछ लेखन करती थी और जिम्मेदारियों में कहीं खो चुकी थी। मेरी निराशा को देखकर उसने मुझे फिर से लिखने की सलाह दी जिससे मैं लेखन में अपने आप को डुबा दूं और सब कुछ भूल जाऊं और निराशा से बाहर निकल जाऊं। फिर भी मैं यह नहीं कर पा रही थी अपने आपको निराशा से बाहर नहीं निकाल पा रही थी।
तनाव जैसे दिलो-दिमाग पर रेंगते रहते थे चाह कर भी मैं नहीं लिख पाने की शुरुआत कर पा रही थी। मैं लाख कोशिशों के बाद भी इस से बाहर नहीं निकल पा रही थी।एक दिन सुबह एक कागज का टुकड़ा मेरे बिस्तर पर फोन के नीचे दबा मिला उसे खोला कुछ लाइन लिखी थी।
"मेरी जिंदगी की मुस्कुराहट हो तुम, मेरी जिंदगी की शरारत हो तुम,
कैसे बताऊं कि क्या हो तुम कैसे बताऊं तुम बिन क्या होती ये जिंदगी ......."
इसे पूरा करो और एक बार फिर आगे बढ़ो मेरे लिए मेरी जिंदगी के लिए क्योंकि मेरी जिंदगी तुमसे है और बस तुमसे...
"शाम तक इसे पूरा करके रखना" यह पढ़कर मेरी आंखें गीली हो गई और फिर जी भरकर रोई।उसके बाद कलम उठाया और वो कविता पुरी की। फिर वो कलम कभी नहीं रूकी। यह लाइने, यह खत एक ऐसे शख्स ने लिखा था जिसे कविता की आम, इमली भी नहीं पता थी ।मुझे निराशा से बाहर निकालने की कोशिश मैं उसने यह चार लाइने लिख दी जो सचमुच उसके दिल से निकली आवाज थी। मेरी परेशानी में हर पल साथ दिया था। जिसके बिना मैं अधूरी थी। मैंने इसे पूरा किया और तब से मैं रोज कुछ ना कुछ लिखने लगी और धीरे-धीरे मैं अपने आपको इसमें डुबाती चली गई ।आज मेरी रचना अखबार,मैगजीन में आने लगी।दो साल पहले जिस तनाव, निराशा से जुझ रही थी जिससे मैं निकल नहीं पा रही थी बड़ी आसानी से लेखन के माध्यम से बाहर आ गई ।जानना चाहेंगे वह शख्स कौन था? वह चार लाइन किसने लिखी थी ?
वो कोई और नहीं मेरे जीवन साथी मेरे पति थे। जी हां मेरी प्रेरणा ।मुझे यहां तक पहुंचाने वाले मेरी सुरक्षा कवच, मेरे जीवन का आधार ,मेरे पति कोई और नहीं ।मेरी जिंदगी और मेरे हर परेशानी, डिप्रेशन तनाव की दवा बन कर मुझे उन सब से बड़ी आसानी से बाहर निकाला और आज वह मेरी प्रेरणा बन गयें।
"वो प्रेरक चार लाइनें मेरी नई जिंदगी दे गई और मेरी प्रेरणा बन गई"।
अपनों का साथ पाकर मैं तनाव से बाहर आ गई। सचमुच अपनों का प्यार और साथ हर मुसीबतों से बाहर निकाल लाया है हमें ..है... न.. आपके क्या विचार हैं।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
पढ़कर ऐसा लगा जैसे मेरी कहानी लिख दी 😢
Thanks
बेहतरीन, अपनों का साथ जब हो हर मुश्किल लगे आसान
हृदयस्पर्शी पंक्तियाँ
Please Login or Create a free account to comment.