भाभी आप तो चुप ही रहो...दादी ...आप मत बोलो चुपचाप जाओ ...यहाँ से घर।सुगंधा की बातें सुनकर मैं अजीब सी कसमकस में थी।यह इसके बात करने का तरीका क्या है सबसे ऐसे ही बोल देना छोटे बड़े का लिहाज ही नहीं ।मैं चुपचाप सुन कर रह गई और चुपचाप वापस घर आ गई।रोज की ये बातें उसकी थी।कुछ ही दिनों में कोहराम मचा था ..नीचे गई मालूम पड़ा सुगंधा एक बुजुर्ग दंपत्ति से भिड़ गई थी रात 10:00 बज रहे थे
इतनी बहस और चिल्लाना सब सकते में आ गए।शांत पसंद लोगों ने बात करके बात रफा-दफा कर दिया।शांति.. कहां सुगंधा को सुगंधा अपनी सुगंध भला कहां छोड़ने वाली फिर 2 महीने बाद दूसरे से पंगा।कुछ दिन शांति कुछ दिन हराम ...किसी न किसी से उसे बहस करनी ही थी। ये उसकी आदत थी। धीरे-धीरे सब को यह देखने सुनने की आदत हो गई पर कहते हैं ना अति हर चीज की बुरी होती है,अति हो चुकी थी।अब सब धीरे धीरे उससे कटे कटे रहने लगे उससे दूरियां बना ली सभी ने।
एक दिन नीचे गई तो रोली ने कहा...भाभी यह सुगंधा शांति से क्यों नहीं रहती!हर वक्त बस कोहराम मचाए रहती है !किसी ना किसी से उलझी रहती है।परेशानी तो हर किसी को रहती है,पर बात से सॉल्व हो जाती है पर् सुगंधा तो जैसे झगड़े पर उतारू!अपने आप को कभी देखती भी नहीं कितना रफ बोलती है.. हर किसी से।दस लोग हो या पांच लोग हो ...अपने आपको चिल्ला चिल्ला कर सही साबित करने में लगी रहती है।
हाँँ ....रोली यह तो सही है!जहां पहले शांति थी छोटे,बड़ों का लिहाज था!आज उसने सब खत्म कर रखा है।जहां सारी औरतें दिन भर की थकान नीचे आधे घंटे बैठकर हंसी मजाक करके उतारती थी,आज उसकी वजह से बैठना छोड़ दिया है,पर कर भी क्या सकते हैं।सारे बच्चे भी उससे कटे कटे रहते हैं।इग्नोर ही बस उपाय है।
तभी जोर से चिल्लाने की आवाज आई जो काफी देर से आ रही थी पर धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी
यह तो सुगंधा थी जो फिर उलझ पड़ी थी किसी से बच्चों के लिए शायद बहस कर रही थी
"हाँँ.. हाँँ... मैं ऐसी ही हूँँ" मेरी आवाज ही ऐसी है क्या करूँँ बोलो?तुम्हें किसी ने रोका है नहीं.. न ..तो तुम भी बोलो। सुगंधा चिल्लाए जा रही थी,और बोले जा रही थी।
देखो भाभी....रोज की बात है !किसी न किसी से रोली ने कहा
हर बार गलत बोलती है तीखे स्वर कटु वचन इसकी आदत है और कुछ कहो तो एक ही जवाब "मैं ऐसी ही हूँँ"।
जाने दे... मैंने कहा।
जैसी करनी.....।वैसी भरनी। एक दिन पछताना तो पड़ेगा ही फिर उस दिन कहेगी "मैं ऐसी ही हूँँ"।
मैंने जैसे ही बोला रोली खिलखिला कर हंस पड़ी !हम दोनों ही अपने-अपने घर चल पड़े "मैं ऐसी ही हूँँ "...कहकर और दोनों ही हंस पड़े।
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