बेटी दिवस मनाया खूब, लिया तारीफ भरपूर लूट
हत्या रोज करते हो फिर दिखावा क्यों करते हो
कोख में आते ही, बेटे का राग रोज सब अलपाते हो
बेटी कभी ना कहा हो जाए,फिर ढोंग क्यों रचाते हो
तन मन अर्पित कर बेटियां फिर सब कुछ सहती है त्याग,समर्पण,स्नेह से दो वंश को ताउम्र सजाती है
देखो फिर भी हर रोज आज कन्या भ्रूण मारी जाती है
सोच बदलो तभी समाज बदलेगा दिखावा क्यों करते हो
कोख से आंगन में आने दो माँ के गोद में खिलखिलाने दो
स्वर्णिम भविष्य उसे भी स्वाभिमान के साथ जरा मनाने दो
Comments
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Nice. Daughters day manaye din hi kitne hue,. ab bhi rape jaisi khabrein sunne ko mil rahi Hain.
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