हमें तो लुट लिया मिलके.... शिक्षा के लुटेरों ने ..कहा जाएं तो गलत नहीं होगा आज के दौर और शिक्षा के हालात को देखकर।
"तमसो मां ज्योतिर्गमय" शिक्षा...अंधेरे से उजाले की ओर बढ़ने का रास्ता है, लेकिन शिक्षा आज व्यवसाय बनकर रह गई है, अगर यह कहें तो गलत नहीं होगा।शिक्षा सबसे जरूरी है, शिक्षा हमारी संवेदनाओं को बढ़ाती है, तालमेल करना सिखाती है।एक अच्छा इंसान बनना सिखाती है,सही गलत का निर्णय लेने में अहम साबित होती है। आज शिक्षा का व्यवसाय सच माने तो चिंता का विषय है।आज शिक्षा को लोग अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल कर रहे हैैं। धीरे-धीरे यह व्यवसाय के रूप में बदल रहा है।
शिक्षा.. केवल किताबी ज्ञान देकर पूरी कर दी जा रही है जहां न आचरण, न संस्कार,ना भावनात्मक विकास और ना अच्छे विचार दिए जाते हैं।वहां दी जा रही तो बस किताबी ज्ञान जो केवल पास, फेल और ग्रेड पर रुक गई है।मकसद बस पैसे कमाना ऐसे में शिक्षा पर व्यवसायीकरण का सवाल उठाना लाजमी है। क्या केवल शिक्षा आज व्यवसायीकरण बनकर रह गई है?
हां शायद सच यही है। शिक्षा की बात करें तो जहां कुछ लोग शिक्षा को घर-घर, हर छोटे से छोटे गांव, कस्बे तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं वही शिक्षा को कुछ लोग व्यवसाय का रूप देकर पैसा कमाने की होड़ में लगे हैं, जो एक गोरखधंधा का रूप ले चुका है।आज शिक्षा के नाम पर बहुत से संस्थाओं की स्थापना की गई है, पर पैसों की अधिक डिमांड की वजह से आम लोग वहां तक नहीं पहुंच पा रहे
"शिक्षा का मतलब तमसो मा ज्योतिर्गमय" अंधेरे से उजाले की ओर ले जाने का अगर सबसे बड़ा सूत्र है तो वह है शिक्षा जिससे पूरा विकास संभव है।सरकारी संस्था की बात करें तो लाभ पहुंचाने के लिए शिक्षा का पूरा प्रयास किया गया जो अनिवार्य था किंतु इसमें भी कुछ लोगों ने मुनाफाखोरी की वजह से गरीब लोगों तक ठीक से पहुंचने नहीं दीया गया जिससे शिक्षा का समुचित लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पाया।जो उद्देश्य था वह पूरा नहीं हो पा रहा। आज शिक्षा एक व्यवसाय का रूप ले चुका है।स्कूलों की मनमानी बढ़ती फीस और अभिभावकों का शोषण सब बढ़ता ही जा रहा है। कहा जाता है शिक्षक या गुरु सही मार्ग दर्शक बनकर अपनी भूमिका अदा कर समाज को एक सुंदर भविष्य की कल्पना में ले जाता है और एक सफल व्यक्ति देता है लेकिन आज वही शिक्षक पैसे कमाने में अपनी गरिमा भूलते जा रहे हैं।जीवन के रास्ते पर हम शिक्षा के महत्व को समझ भी रहे हैं।आज शिक्षा नीति की वजह से देश आगे बढ़ रहा है।
शिक्षा को व्यवसाय बनाकर धन कमाने की होड़ में कुछ लोग शिक्षा से वंचित कर रहे हैं उन लोगों को,जो उनका भरपूर फीस अदा नहीं कर सकते। कई बच्चे वहां ऐसे हैं आज भी जो पूरी फीस भरने की ताकत न रख पाने की वजह से पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते हैं। शिक्षा उनका हक है लेकिन बीच राह में छोड़नी पड़ती है। क्योंकि आज शिक्षा का व्यवसायीकरण होने लगा है। बच्चे की काबिलियत देखकर उन्हें सहयोग करने की बजाय फीस न भर पाने की वजह से पढ़ाई छुड़वा दी जाती है
पुराने जमाने में गुरु शिष्य की काबिलियत देखकर हर चीज त्याग कर उसे काबिल बनाते थे। शिक्षा देकर उसे आगे बढ़ाते थे, पथ प्रदर्शक बनकर सही राह दिखाते थे,पर आज सही राह दिखाने के बजाय जेबें भरना शिक्षा के नाम पर हो रहा है।कुछ शिक्षक आज भी है जो काबिलियत देखकर पूरी शिक्षा दे रहे हैं और दिल से आगे बढ़ा रहे हैं पर कुछएक ऐसे हैं जिससे समाज में शिक्षा के नाम पर हो रहे व्यवसाय के कारण बदनाम भी हो रहें हैं।
शिक्षा के बिना विकास संभव नहीं शहर तो शहर, आज गांव में भी लोग पैसे की मांग इतनी रख रहे की गरीब तबके के लोग अदा नहीं कर पा रहे।चाहकर भी अपने बच्चे को आगे नहीं बढ़ा पा रहे,मनमानी फीस भी वसूली जा रही है।अगर शिक्षा की बात करें तो शिक्षक से ही सवाल पूछने पर गलत उत्तर बताए जा रहे। पैसे लेकर टीचरों की नियुक्ति की जा रही तो क्या शिक्षा देंगे बच्चों को वह जो बस पैसे कमाने आए हैं।
शिक्षा गई भाड़ में क्या फर्क पड़ता है उनको, पैसे तो मिलेंगे ही।ऐसी सोच उनकी है इसलिए कलयुग में ऐसे शिक्षकों की भरमार है जो केवल शिक्षा को व्यवसाय और पैसे कमाने का जरिया बना कर रखे हैं। गांव में शिक्षा का यह हाल है कि फीस दें भी दें तो स्कूल ड्रेस,किताबें आदि के पैसे नहीं भर पाने की वजह से हालत ऐसी है कि वह आगे नहीं पढ़ पाते। सच कहें तो सरकार को गांव और छोटे कस्बों की तरफ ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।अभीवाहक चाहते हैं उनके बच्चे पढ़ कर आगे बढ़े पर मोटी फीस भरने की काबिलियत नहीं है।मनमानी फीस रोकनी ही होगी।
शिक्षा का व्यवसायीकरण बढ़ता जाएगा तो छोटे जगह और गांव के बच्चे आगे नहीं बढ़ पाएंगे,जो चिंता का सबब है।क्योंकि "पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया" आखिरकार सरकार को ठोस कदम उठाकर शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक लगानी होगी ठेकेदारों की नकेल कसनी होगी जो इसे केवल एक व्यवसाय के तौर पर देख रहे हैं और अभिभावकों से मनमानी कर रहे हैं। सही शिक्षा जरूरी है हमें आगे बढ़ने के लिए देश की तरक्की के लिए।
निक्की शर्मा रश्मि
मुम्बई
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