🌹 किसान🌹
परेशानी हो या आँधी हो दिन रात श्रम करते हैं।
बोझा सर पे लेकर चलते किसान नहीं थकते हैं।।
गरीबी कहो या लाचारी , किस्मत की है मारी ।
तपते तन ,जलते मन व दिल में दर्द रहे भारी ।।
मन से कठोर होकर , मेहनत दिन रात करते हैं ।
बोझा सर पे लेकर चलते किसान नहीं थकते हैं।।
सुलगती साँसे ,मचलता मन छुटते पसीने से ।
चमकता उनका तन ,पाँव के छाले महीने से ।।
आह निकलती कांटे पाँवों में रोज चुभते हैं ।
बोझा सर पे लेकर चलते किसान नहीं थकते हैं।।
परिवार पालते हैं हर दर्द को सीने से जकड़ते हैं।
सिसकियों को दबाकर वो रोज खुद से लड़ते हैं।।
पसीना बहता है तन से आँखों से आँसू बहते हैं ।
बोझा सर पे लेकर चलते किसान नहीं थकते हैं।।
मौसम भी जब दगा दे जाता आँधी व तुफान से।
आँखों में नमी लेकर वह कहता है भगवान से ।।
भरी गर्मी हो या दुपहरी कभी नहीं वो रुकते हैं ।
बोझा सर पे लेकर चलते किसान नहीं थकते हैं।।
निक्की शर्मा रश्मि
मुम्बई
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
बढिया लिखा आपने 👏👏
मार्मिक
Please Login or Create a free account to comment.