*पीपल, नीम, तुलसी अमुल्य धरोहर हैं धरा पर इनका रखें ख्याल*

*पीपल, नीम, तुलसी अमुल्य धरोहर हैं धरा पर आप इनका ख्याल रखें ,ये आपका ख्याल रखेंगें*

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Resmi Sharma (Nikki )
Resmi Sharma (Nikki ) 17 May, 2021 | 1 min read



जीवन सुंदर है, प्रकृति का दिया सबसे सुंदर उपहारों में से एक। प्रकृति के दिए तमाम पेड़, पौधे हमें जीवन देते हैं। पर्यावरण संरक्षण में वृक्षों की महिमा अपार है। पेड़-पौधे एवं मानव, संस्कृति की रक्षा के लिए ही अनुकूल रूप से प्रकृति ने हमें यहअनमोल उपहार दिया है। वृक्षों से हम हैं और हम से वृक्ष। अगर हम इनकी देखभाल ना करें तो हम खुद सुरक्षित नहीं होंगे। आज पेड़ पौधे के महत्व को लोग अपने दैनिक जीवन में भूलते जा रहे हैं। आज बीमारियों से जूझ रहे लोग अब ऑक्सीजन के महत्व को शायद ज्यादा समझ रहे। प्रकृति ने पीपल, नीम, तुलसी जैसे अमुल्य धरोहर को धरा पर दिया था हमारे संरक्षण के लिए लेकिन इस अनमोल पेड़ों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।


 आज पीपल नीम तुलसी अभियान चलाकर डॉ धर्मेंद्र कुमार इस पर बहुत ही तेजी से काम कर रहे हैं। डॉक्टर धर्मेंद्र कुमार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस अभियान को लेकर जुड़े हैं। डॉ धर्मेंद्र कुमार बिहार के रहने वाले हैं और पीपल, नीम, तुलसी के महत्व को बताते और समझाते हुए हम सब को इससे जुड़ने की उनकी अपील काबिले तारीफ है। पर्यावरण प्रदूषण के वजह से ऑक्सीजन बैंक का निर्माण कर रहे हैं। इस अभियान में उन्होंने पर्यावरण योद्धा भी तैयार किया है। लखनऊ, राजस्थान, तमिलनाडु आदि राज्यों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेपाल में भी उन्होंने पर्यावरण योद्धा तैयार कर अपने काम को अंजाम दिया है।


 पर्यावरण की सुरक्षा हमारी सुरक्षा है। पीपल, नीम, तुलसी लगाने से पर्यावरण के साथ-साथ हम भी सुरक्षित रहेंगे। अपने आसपास पीपल, नीम, तुलसी के पौधे लगाकर पर्यावरण को सुरक्षित रखने में आप भी सहायता कर सकते हैं। फायदा तो आपको ही मिलेगा पौधे हम लगाएंगे तो ऑक्सीजन भी हम ही तो पाएंगे। खुद भी पौधे लगाएं और दूसरे को प्रेरित भी करें।


पीपल की महिमा अगर आप जान ले तो शायद अचंभित रह जाएंगे। प्रत्येक पौधे एवं पेड़ ने अपने-अपने अनुकूलन में जीव जंतुओं समेत मानव संस्कृति की रक्षा का बोझ ढोया है। जिसका एहसान कभी भी चुकाया नहीं जा सकता है। वृक्षों का गुणगान करें तो पीपल के बारे में जानकर दंग रह जाएंगे। सामान्य जीवन से ऊपर पीपल वृक्ष के संबंध में आप यह जान लें कि वह व्यक्ति सौभाग्यशाली है जो आज भी पीपल वृक्ष के प्रति सजग है, जागरूक है। पीपल वृक्ष लगाना उतना महत्वपूर्ण नहीं जितना इस विषय में जानना आपको प्रेरित करेगा प्रेरणा मिलेगी आपको खुद ब खुद पीपल पेड़ लगाना शुरू कर देंगे। पीपल वृक्ष हमारे भीतर भी उपलब्ध है उसका बीज हमारे भीतर है वह अवश्य ही बाहर आएगा यह तभी विकसित होगा जब हम और आप इस वृक्ष के नीचे पहुंच जाएं। एक बार अपनी सकारात्मक ऊर्जा के साथ उससे लिपट कर देखे आपको एक अलग अनुभूति प्राप्त होगी और आप खुद ब खुद अंकुरित होने लगेंगे। आप में पीपल वृक्ष के प्रति एक सम्मान पैदा होने लगेगा और आप को उसके करीब ले जाएगा।पीपल के सत्य की तरफ आप खीचते चले जाएंगे और इनसे निकटता बढ़ती ही जाएगी।

पीपल वृक्ष के प्रति मानव चेतना ,प्यास बढ़ती जाएगी। जितना आप इसके करीब आएंगे उतना ही आपकी प्यास बढ़ती जाएगी। पीपल का संरक्षण करें पीपल वृक्ष ऊर्जा का स्रोत है उस उर्जा का अनुभव करें। इसका चिंतन आप करेंगे तो पीपल वृक्ष से निकटता बढ़ाएं और यह आप से निकटता बढ़ाएगी। 


पीपल वृक्ष विभिन्न नाम से जाने जाते हैं बोधि वृक्ष, बोधिद्रुम, राजतूल, पीपल, वृक्षराज, सौरवृक्ष, चल- पत्र आदि।पीपल वृक्ष के विभिन्न नामों में बोधिद्रुम का अर्थ बुद्धि प्रदान करने वाला वृक्ष है। शाक्यमुनि गौतम को पीपल वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था इसलिए इनका नाम महात्मा बुद्ध के नाम पर इस पेड़ का नाम बोधधिद्रुम है। इसी तरह इस वृक्ष का नाम पीपल अर्थात जिनके पत्ते,छाल,जड़ आदि का मिलाकर काढ़ा पिया जाता है।यह पेय योग्य है इसलिए इसका नाम पीपल है।चल पत्र नाम भी है इसका अर्थ है कि इस पेड़ का पत्ता हमेशा हिलता रहता है। इसका नाम सौरवृक्ष इसलिए है कि सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में होने वाले प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया को इस वृक्ष में स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है जो प्राणवायु का स्रोत है।


 पीपल वृक्ष के पत्ते की आकृति अगर आप देखेंगे तो हृदय की आकृति जैसी है। पत्ते के दर्शन करने मात्र से हृदय में तरंगे होने लगती है। पत्ते का हिलना मन को शांति, आनंद प्रदान करता है। पीपल के पत्ते के औषधीय गुण की चर्चा अगर करें तो सिद्ध व्यवहारिक तथ्य सामने आएगा इसके एक मुलायम पत्ते को खाली पेट रोज खाएं तो हृदय रोग से राहत, अपच, भूख की कमी,कब्ज जैसी बीमारी में बिना पैसे के आप अपने समेत कई लोगों को लाभान्वित कर सकते हैं। पीपल पेड़ की महिमा अपार है। पीपल के पत्ते का शिरा जाल बुनता स्पष्ट है। आजकल नववर्ष की शुभकामनाएं, वैवाहिक उत्सव आदि में पीपल का तोरण और पीपल देवता की आकृति चिपकाकर शुभकामना पत्र बाजार में उपलब्ध है।अतः यह स्पष्ट है और स्वीकार करने की बात है कि दिल से दिल मिलाने का माध्यम पीपल का पत्ता है। पीपल के पत्ते की तुलना मन से जा सकती है जिस तरह पीपल हिलता डुलत रहता है उसी तरह मन भी आगे पीछे चलता रहता है। जो अनुभव ऊर्जा मिलती है अनुभव प्राप्त होती है उसे आप महसूस करें और अपनी भावना को जागृत करें।

 पीपल वृक्ष को बोधि वृक्ष के नाम से जाना जाना भी एक घटना है। आनंद की,शांति की, प्रेरणा की,चिन्तन की घटना है जो साबित करती है स्थिर मन सकारात्मक सोच से सब सभंव है। जिसे सालों से लोग सुन और देख रहे हैं।पीपल इस संसार के लिए ममतामई मां के समान है जो बालक की रक्षा करने में लगी रहती है।


जिस प्रकार माँ बच्चों को संभालने के लिए चाहिए उसी तरह प्रकृति के इस प्रदूषण से बचने के लिए पीपल की जरूरत है।शुद्ध हवा, छायादार वृक्ष होने की खासियत के साथ पीपल हमारे जीवन की रक्षा कवच है। पीपल के प्रभाव से शरीर विचारों में परिवर्तन होता है। जीवन में शांति और आनंद की प्राप्ति होती है। पीपल केंद्र बिंदु है जीवन का। शरीर की शुद्धि का होना जरूरी है उसी तरह विचार और भाव की शुद्धि आवश्यक है। पीपल से प्रेम होना, संबंध होना करीब होने के साथ-साथ विचार में तरंग शुद्ध होती है। जो आपको इसे गहरा लगाव पैदा करती है। 


सत्यम शिवम सुंदरम यानी सत्य शिव सुंदर यह तीनों का मिश्रण है।पीपल वृक्ष इन तीनों में एक भी भाव मन के अंदर पीपल वृक्ष के लिए जागृत हो जाते हैं तो जीवन को साकार करते हैं। पर्यावरण को एक विचारधारा में ले जाते हैं। प्रकृति कभी भी अशुभ विचार नहीं देती। प्रकृति ने पीपल वृक्ष दिया कुछ तो कारण होगा पीपल वृक्ष की हरियाली भरे पत्तों के बारे में गहराई से सोचें। आज हर गांव ,शहर में पीपल कम देखने को मिलते हैं जबकि सकारात्मक ऊर्जा पीपल के पेड़ से उत्पन्न होती है इसलिए पीपल के पेड़ लगाएं और उर्जा को पाएं।शरीर शुद्ध, शुद्ध विचार, शुद्धि तथा भाव की शुद्धि में विकसित करती है मात्र सानिध्य से।

*पीपल के साथ नीम, तुलसी जैसे पेड़ लगाएं जीवन सुंदर बनाए*

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