साँवली सलोनी

साँवला या गोरा खुबसुरत नजरों में होती है देखनेवाले की

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Resmi Sharma (Nikki )
Resmi Sharma (Nikki ) 02 Nov, 2020 | 1 min read

रीना .....चल !मार्केट... थोड़ा आइब्रो बनवा लेना और हेयर कट करा लेना!फेसीयल तो पहले हो चुकी है तेरी.. थोड़ा फेस पैक लगा लेना रात को तो चेहरे पर चमक आ जाएगी ....रीना की भाभी ने कहा

भाभी कल फिर वही... क्यों बार-बार मुझे जलील होना पड़ता है? खुद की नजरों से गिर जाती हूं मैं! भाभी मेरा क्या दोष है?इसमें।

रीना दोष किसी का नहीं है बस सोच अलग होती है सबकी।कल का जहां तक सवाल है सबकी सोच ऐसी नहीं है।घर के किसी ने कभी कहा तुम्हें कभी कुछ, मैं भी तो सामने हूं मुझे कहा कभी।भैया उन्होंने अपनी पसंद से मुझे पसंद किया फिर कोई न कोई तुम्हारा भी होगा दिल से पसंद करेगा देर से ही सही। हमें अपना काम करना है,उन्हें अपना करने दो।जहां पर जोड़ी होगी तुम्हारी आ ही जाएगी। अब चलो इसी बहाने पानीपुरी और चाट भी खाकर आ जाएंगे ...है न।

हां भाभी चलो फिर ...तुम्हारी बात कभी टाली है।

सुबह घर में तैयारी जोर शोर से थी और सभी की धड़कन भी तेज थी मन में एक ही बात आज सब ठीक हो जाएं बस।रीना यह साड़ी लें और ये झुमके भी... पहन लें।

ओह ये लंबे बाल खुले रख इसमें बहुत प्यारी लगेगी।

हां ...भाभी ।

कैसी लग रही हूं?

बिल्कुल मां जैसी प्यारी।सांवला,सलोना मुखड़े पर यह साड़ी बहुत अच्छी लग रही है। चलो अब बैठक में! थोड़ी देर बैठ कर आ जाना।

रीना थोड़ी देर बाद कमरे में आ गई और पलंग पर बैठकर आंखें बंद कर ली। फिर से ना ही होगा।यह सोच सोच कर फिर मन अशांत था,।

रीना चलो सब बुला रहे हैं।

नहीं भाभी एक बार में नहीं देखा करता मैं नहीं जाउंगी।

चलो मैं हुं ना भाभी की बात माननी पड़ी।मन अभी भी ख्यालों में था।

क्यों आखिर क्या कमी थी रंग ही तो कम था हर कोई आकर उसे देख कर चला जाता है मना कर के। रंग..रंग ही तो सांवला है,लेकिन मन ...मन भला कैसे दिखता।सब उसकी छोटी बहन को पसंद कर चले जाते हैं और वो एक बार फिर अपने ही नज़रों में गिरकर रह जाती है। क्यों बार-बार मेरे साथ ऐसा होता है? भगवान में मुझे काला क्यों बनाया? जब काला रंग पसंद ही नहीं किसी को?

बैठक पुहुंच कर ख्यालों से बाहर आई... एक बार फिर आज मेरे साथ यही होगा!कितनी बार बोला छोटी बहन की शादी कर दो पर मां भी नहीं सुनती नहीं रीना अपने विचारों में ही कोई थी।

रीना...रीना... चलो बैठक में भाभी ने आकर कहा!

नहीं भाभी मैं अब दोबारा नहीं जाऊंगी और भाभी एक बार में नहीं दिखा क्या उन्हें रंग जो दोबारा। यह क्या है बार ..बार मैं नहीं जाऊंगी... नहीं जाऊंगी...नहीं जाऊंगी।

मैं हुं न तेरे साथ चलो आज जाओ प्लीज़।

सोफे पर बैठते ही रीना के हाथों में एक साड़ी रखा गया फिर उसे सोने की डिब्बी दी।कुछ समझ नहीं आया रीना। बहुत प्यारी लग रही हो किसी ने कहा रीना के कानों में किसी की आवाज टकराई। बहुत प्यारी लग रही है सांवला,सलोना मुखड़ा ..झील सी आंखें और इतनी सुंदर बहुत प्यारी है मेरी देवरानी।

रीना की आंखें छलछला रही थी जिस रंग के कारण उसे हमेशा मना कर दिया जाता था..आज उसी सांवले रंग की तारीफ हो रही थी। उसने धीरे से चारों तरफ देखा बहुत से लोग थे।कोई गोरा, कोई सांवला ,हर रंग में रंगा परिवार।आज हर रंग का भेद मिट चुका था। छोटा, बड़ा सब एक था।मुझे ऐसा परिवार मिल चुका था जहां मेरे खुद की पहचान हुई।आज मेरी आंखों से आंसू खुशी के बह रहे थे।मन का मैल बह चुका था।

"हर रंग का भेद मिट चुका था कुंठा दिल का निकल चुका था खुशियां जैसे लौट आई थी सात रंगों में खुशी का संदेश दे रही थी"।

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