रवि ने नीतू के हाँथों को अपने हाँथ में लेकर अपने होंठों से लगा लिया ,कितनी बार उसने चूमा पर नीतू को कोई असर ही नहीं हो रहा था। "नीतू यार उठ जाओ अब प्लीज ऐसे मत करो देखो मेरा दिल कितनी जोर जोर से धड़क रहा है देखो ना नीतू" रवि नीतू के हाँथ को अपने सीने के पास रखते हुये बोला।
रवि की आँखें नम थी क्यों नहीं उसने नीतू का ध्यान रखा था! नीतू ने कई बार उसे अपनी परेशानी बताई थी! पर उसने तो ध्यान ही नहीं दिया था। हमेशा बस अपने काम का ही रोना रोता रहा। कितनी बार उसने अपने पेट दर्द और ज्यादा ब्लीडिंग की शिकायत की थी, पर हर बार उसने अनसुना कर दिया था या बोलो लापरवाही की थी उसने।
पुरानी बातें उसे याद आने लगी। अभी तो दिवाली की सफाई और क्या क्या बनाना हैं सब तैयारी सोच के रख रही थी वो,पर उसकी तेबीयत मेरी लापरवाही के कारण ही ज्यादा खराब हो गई और अब हॉस्पिटल में है।बेसुध सी ।ज्यादा कमजोरी से उसे चक्कर आने लगे थे तब डॉक्टर से सारा चेकअप करवाया और रिपोर्ट में जो आया रवि और नीतू दोनों के होश उड़ गए थे।
बच्चेदानी में कैंसर था।नीतू तो जैसे पागल सी हो गई सोच सोच के अब उसके बच्चों को कोन देखेगा बस उसकी आँखों से आँसु ही नहीं सुख रहे थे।कैंसर नाम से ही आधी जान चली गई थी उसकी अपनी मौत उसे करीब नजर आ रही थी।पर रवि ने पुरा साथ दिया ।
सासु माँँ ने सब सभांल लेनी की जिम्मेदारी ली बड़े प्यार से उसे अपनी ममता दी उन्हें पता था आज नीतू को माँ की ममता की जरूरत थी पर माँ तो कब की बहुत दूर जा चुकी थी हमेशा के लिए इस जहाँ से दूर।सासु माँ ने ही सब कुछ सभांंला।
रवि तो जैसे जड़ सा हो गया था कितनी बड़ी गलती उसने की थी पर सजा मेरी नीतू को मिली, जिंदगी अब दूर होती दिख रही थी नीतू के बिना उसका क्या होगा वो उसके बिना तो एक कदम नहीं चल सकता।नहीं नहीं मैं कुछ नहीं होने दूंगा।उसने तुरन्त ऑपरेशन के लिए उसने सारी तैयारी कर ली थी और पंद्रह दिन के अंदर उसका ऑपरेशन हो गया था उसके बच्चेदानी को निकाल दिया गया था।
दिवाली करीब है,नीतू को दिवाली बहुत पसंद है उसे दिवाली में घर पर ले ही जाना होगा हाँ और इस दिवाली उसकी यादगार दिवाली होगी एक नये जन्म के साथ।रवि ने सोचा।और माँ,बच्चों के साथ नीतू को सरप्राइज देने की तैयारी भी शुरू करवा दी ।रवि की बहन भी आ गई थी सब ने मिलकर उसकी इस दिवाली को यादगार बनाने की ठान ली थी डॉक्टर से भी रवि ने सब पुछ लिया था वो अब बिल्कुल ठीक है बस अभी हर महीने और फिर छह- छह महीने में उसे चेकअप के लिए आना होगा और खाने में बहुत ही सावधानी रखनी होगी।
नीतू ने अपना हाँथ हिलाया तभी उसकी तंद्रा टूटी नीतू को होश आ गया था।इतने लम्बे ऑपरेशन ने तो रवि की जान ही ले ली थी।नीतू ने धीरे से आँख खोला रवि को सामने देखकर उसकी आँखें बहने लगी।रवि ने अपना हाँथ उसके बालों पर रखा और उसके सर पर अपने होंठ।उसकी साँसें जैसे लौट आई हो रवि के आँखो में भी आँसु थे पर खुशी के।
नीतू अभी भी खौफ में थी ,रवि ने उसे हरपल साथ देने और हर बात उसकी सुनने की कसम खायी।नीतू मैं वादा करता हूँ तुम्हारी हर बात सुनूंगा और समझूंगा भी ,जो तुम बोलोगी वही करूगा सच्ची माफ कर दो अब रवि ने नीतू से कहा।नीतू भी बहुत जल्द अपने घर जाना चाहती थी अपने बच्चों के पास
कितने दिनों बाद वो आज घर जा रही थी अपने घर,जैसे ही टैक्सी घर के आगे रुकी नीतू ने देखा पुरा परिवार बाहर उसका इन्तजार कर रहा था उसकी आँखें छलक गई थी या यो कहें कैंसर ने उसे कुछ ज्यादा ही इमोशनल बना दिया था।"आ जाओ" रवि ने उसे उतारा माँ जैसी सासुमां ने उसकी आरती और टीके से स्वागत किया।अंदर पुरा परिवार और रिश्तेदार भरे थे उसके स्वागत के लीए।
"हैप्पी दिवाली" की गुंज उसे सुनाई दी बच्चे भी लिपटे थे नीतू ने देखा कुछ दिनों में ही उसकी बिमारी ने बच्चों को भी बड़ा बना दिया था! कितना ख्याल रख रहे थे सबका और इतनी तैयारी सब माँऔर बच्चों ने मिलकर की उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था!ये वही बच्चे हैं जिनके पिछे वो चिखती चिल्लाती थी फिर भी नहीं सुनते थे ।रवि ने उसे बिस्तर पे लिटा दिया,बिस्तर पे लेटे लेटे उसे सब याद आ रहा था।कैंसर शब्द से वो निकल नहीं पा रही थी।
अब कुछ मत सोचो बस अब सब अच्छा होगा रवि ने कहा, हाँ भाभी सब ठीक हो गया है अब आप सिर्फ आराम कीजिए और खुश रहिये हम सब हैं !सब देखने के लिए स्वेता उसकी ननद ने कहा।सब कितने जिम्मेदार हो गए है! नीतू ने सोचा और हाँ में सर हिलाया।
नीतू तुम बस जो चाहिए वो बता देना मैं हर पल हर समय तुम्हारे साथ हूँ! अब तुम्हें कभी नहीं इग्नोर करुंगा जो तुम चाहोगी वही होगा! पक्का रवि ने कान पकड़ लिए।जो तुम बोलोगी मैं सुनुँगा वादा है तुमसे!आज इस दिवाली हमारी नयी दिवाली है,तुम्हारे नये जन्म के साथ, इसलिए जो तुमको पसंद है वही सब होगा आज।
नीतू ये दिवाली तुम जैसे मनाना चाहती थी हम वैसे ही मनाएंगे हाँ बताओं हमे क्या क्या करना है आज धनतेरस है तो क्या लेकर आऊं रवि ने पुछा पर नीतू उसके गले लगकर बहुत रोई "नहीं रवि मुझे कुछ नहीं चाहिये बस हम सब साथ रहे यही बहुत है"।अरे रोना मत अब आँसु नहीं हँसी चाहिए।"जो तुमको हो पसंद वही बात करेंगे तुम दिन को अगर रात कहो हम रात कहेंगे"रवि उसे छेड़ने लगा हर खुशी उसकी बाहों में थी बस अब संभालना था उसे नयी जिंदगी के साथ।
आज दिवाली है मेरी नयी दिवाली, रवि ने अपना वादा पुरा किया दिवाली तो तुम घर पर ही मनाओगी पक्का।रवि कितना जिम्मेदार हो गया वो मुस्कुरा उठी।दिवाली की रौशनी उसकी जिंदगी भी रौशन कर गई थी।
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