भाभी आपकी चाय! भाभी आपके घर सब लोगों को चाय पीने की आदत है क्या? हम सब तो नहीं पीते। वैसे चाय पीने की आदत तो बड़ी बुरी है एक बार लग जाए तो बस! अच्छा है, मैं नहीं पीती। आप चाय पीकर नीचे ही आ जाओ सब वहीं बैठें हैं।
"हाँ आप जाओ मैं आती हूँ", शोभना ने कहा।
शोभना के हलक में चाय जैसे अटक सी गई बड़ी मुश्किल से उसने पी और सोचा.. चाय पीना इतना बुरा है यहां! जैसे मैंने सुबह-सुबह कोई पाप कर लिया।
वो नीचे आई सब वहीं बैठे थे, संजय उसके पति भी वहीं बैठे थे।"शोभना आ जा.. यहाँ बैठ जा" ..सासू माँ ने नीचे बैठने का इशारा किया।
शोभना बैठ गई और सोचने लगी सब ऊपर और मैं नीचे कितना खराब लग रहा जैसे सब मुझे ही देख रहे हों।
बहु चाय पी ली?
"हाँ माँ"।
घर पर बात कर ली माँ से?
"हाँ,हो गई"।
बहु तुम्हारे घर सब चाय पीते हैं क्या? शोभना तो जैसे सकपका सी गई ये कैसा सवाल है। फिर भी उसने जबाब दिया "नहीं माँ, बच्चे नहीं पीते हैं।"
अच्छा है नहीं तो चाय कि आदत एक बार लगी तो बस! बार-बार इच्छा होती है।
"नहीं मैं ज्यादा नहीं पीती" शोभना ने कहा और पति संजय की तरफ देखा ।
संजय उसकी मनोदशा को समझ चुका था। भाभी हमारे घर दीदी भी नहीं पीती थी पर जीजा जी पीते थे तो उन्होंने उसे भी आदत डाल दी। शोभना की ननद ने कहा। शोभना सोचने लगी आज तो बस चाय पुराण ही होने वाला है।तभी सास फिर बोली "बहु तुझे पीनी हो तो पीना पर संजय को मत आदत लगाना"। शोभना फिर हैरान रह गई।
सास बोले जा रही थीं, आजकल की लड़कियां तुरंत अपने प्यार का दिखावा करके हर बात मनवाने लगती हैं। शोभना के चेहरे का रंग ही फीका पड़ गया।संजय ने भाप लिया उसने माँ से कहा "जो सामने वाला खुद बिना बदले और सामने वाले को भी बिना बदले अपने प्यार में बांध ले वही तो सच्चा प्यार है किसी को बदलने की जरूरत नहीं है, प्यार तो बस प्यार है" इतना कहकर संजय ने प्यार से शोभना को देखा।
शोभना बस उसका चेहरा ही देखती रह गई इतने कम शब्दों में उन्होंने बहुत बड़ी बात बोल दी। उसे बदलना नहीं है वो जैसी है बस वैसी है। शोभना के प्रति संजय ने प्रेम साबित कर दिया उसका साथ देकर।
सचमुच प्यार का मतलब ही है आप उसे उसी तरह प्यार करो जिस रूप में तुमने उसे प्यार किया या पसंद किया। किसी को बदलना क्यों पड़े? अपनी आदत अपने शौक हर वो चीज जो उसे पसंद है किसी और के लिए क्यों छोड़े? प्यार में बदलने की भावना ही नहीं होनी चाहिए। जो जैसा है उसके अच्छे स्वरूप को देखें।
हर इंसान की आदतें अलग-अलग होती है तो क्या हम सबके लिए खुद को बदलते रहें,नहीं न। क्यों बदलना? हम जैसे हैं अच्छे हैं, हैं न।आप भी अपने मन के अनुसार बदलिए...पर किसी के कहने पर किसी को खुश रखने के लिए नहीं।
निक्की शर्मा 'रश्मि'
मुम्बई
Niktooon@gmail.com
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Well written
संदेशप्रद कथा
Thanks
Please Login or Create a free account to comment.