बचपन
छोटा मन छोटी आशा कहां समझे बड़ों की भाषा बचपन सबसे सुंदर होती निश्चल मन मदमस्त है रहती।।
अमीर गरीब का पाठ न जाने बस प्रेम सदभाव है जाने रंग बिरंगे फूलों संग ये बहते यहां वहां कहीं ना ठहरते।।
मनमोहक मुस्कान से मन मोह लेते हैं पंख लगा कर क्यों यह बचपन इतनी जल्दी दूर कहीं उड़ जाते हैं।।
फूल फूल कली कली मुस्काता यह अल्हड़ बचपन कहां मिलती ऐसी आजादी चाहे उम्र हो जाए पचपन।।
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