"माँ माँ "....प्लीज़ आप उठो न देखो सब मुझे परेशान कर रहे हैं,...माँ ..!आप कब तक सोएंगी, प्लीज़... माँ अब उठ भी जाओ ना।मैं बिल्कुल तंग ...नहीं करुंगा! सच्ची पापा भी मेरी बात नहीं सुन रहे हैं माँ...!नानी भी आई है माँ, तुम से मिलने अब मैं कट्टी हो जाऊंगा माँ!ठीक है,फिर कट्टी,कट्टी...... माँ।
नहीं बेटा, ऐसा नहीं बोलते माँ को सोने दे वो थक गई है ना।वो कितना सोएंगी? कब .....से तो सो रही है।हाँ बेटा वो ज्यादा थक गई है, मैं हूँ न बोल क्या चाहिए ।नहीं मुझे माँ से ही लेना है।मंजू परेशान थी अपने छह साल के नाती को वो कैसे अकेले संभाले भला।बेटी सोभना तो बीस दिन से "कोमा"में हॉस्पिटल में पड़ी है।
मंजू की आँखें भर आई... उसे वो मनहूस रात याद आ गई, जब सोभना सोई तो फिर उठी ही नहीं।कितनी खुश थी गणपति में आरती कर के मौज- मस्ती करने के बाद वो रात को जो सोई फिर उठी ही नहीं।सुबह दो बजे तक जब वो नहीं उठी तब सब ने उठाया ,पर वो तो उठी ही नहीं आजतक।ब्रेन हेमरेज हो गया था।पड़ोसियों ने हॉस्पिटल पहुंचाया था।
पति सुबह ही ऑफिस चले गए, उसे थका समझ उठाया नहीं,आज अफसोस है की बिना उससे बात किये कभी नहीं जाता था! आज क्यों गया ?अपने आप को कोस रहा था।पर कहते हैं ना"जब जो होना है हो के रहता है"।आज तक सोभना नहीं उठी है।
मंजू ने अपनी आँखें पोछी उसे हिम्मत करनी ही होगी छह साल के बच्चे को उसे ही देखना है।जब तक सोभना ठीक नहीं हो जाती!नहीं तो, वो सोभना को क्या जबाब देगी!उठते ही बोलेगी "माँ आपने तो बिल्कुल ध्यान नहीं दिया मेरे बच्चे पर "।नहीं नहीं ऐसा नहीं होना चाहिए।
वो उठी और सोभना को प्यार से सर पे हाँँथ फेरा जल्दी उठ जा मेरी बच्ची,मैं ज्यादा दिन नहीं कर सकती।सबको तेरी जरूरत है ।हे भगवान... मेरी जिंदगी ले ले मेरी बच्ची को दे दे।उसने नाती को गोद में उठाया,नहीं मैं नहीं जाऊँगा।
"माँ" उठो ना मैं रो रहा हूँ देखो...देखो न! माँ तुम तो मुझे रोते नहीं देख सकती थी न!माँ उठो ना मैं रो रहा हूँ।मंजू का कलेजा मुँह को आ रहा था।कैसे संभालेगी इस नन्ही जान को इसे क्या पता.. माँ उठ भी पाएगी या नहीं।मंजू की आँखें भर आई।
"माँ" उठो न मैं रो रहा हूँ"
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.