पहली बारिश की बूंदे काली घटाओं के साथ जब हरियाली लेकर आती है मन आनंदित हो उठता है। तन- मन भिगों देता है।पानी की बूंदों के साथ जैसे तन- मन पूरी तरह भींग उठता है। मिट्टी की खुशबू जैसे चारों दिशाओं में फैल जाती है। आसमान में चारों तरफ बादल ही बादलल नजर आता है। हवाएं सनसनाती, बिजली कड़कती है तो मन मयूर जैसे नाच उठता है। पेड़ पौधे सब जैसे चहकने लगते हैं। पहली बारिश में भींगना पकोंड़ो के साथ गर्म चाय, कॉफी और सूप का मजा लेने से ही मन आनंदित होता है। ठंडी- ठंडी हवाओं के साथ प्रकृति की अनुपम सुंदरता देखने को मिलती है।शुष्क धरा ऐसे बारिश की बूंदों से जी उठते हैं। हर तरफ हरियाली छा जाती है।
धरा अवनी सब प्रेम से खिल उठते हैं, हरियाली तो ऐसी दिखती है जैसे धानी चुनर ओढ़ कर बस मन मयूर से नाचने आई हो। बारिश को देख कर अंतर्मन जैसे खिल उठता है। मुस्कान अनायास ही चेहरे पर आ जाती है लेकिन मन तब द्रवित हो उठता है जब यही बारिश भीषण रूप ले लेती है। खिड़की और बालकनी में बैठे बारिश का मजा ले रही थी तभी मन भर आया कई जगह यही बारिश भीषण रूप ले कर आई है जो रूकने का नाम नहीं ले रही तबाही का मंजर हर और देखने को मिल रहा है। जिस तरह से धरा की श्रृगांर इन बूंदों से होती है वही बूंदी जरूरत से ज्यादा आ जाने से कितने ही लोगों की परेशानी का कारण बन गई है।खासकर गांव किसान गरीब तबके के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बाढ़ से आज जिस तरह के हालात हैं भारी बारिश की वजह से है। कहीं सूखा कहीं बाढ़ पर्यावरण के नुकसान की वजह से है और पर्यावरण का नुकसान भी तो हम ने ही किया है। पर्यावरण के नुकसान की वजह से कहीं सूखा कहीं बाढ़ की स्थिति बनती है। कई लोग बेघर हो जाते हैं। हम, कई जगह की तस्वीर हम सबने देखी बाढ़ के चपेट में आए गांव की स्थिति की। बाढ़ की स्थिति अचानक नहीं आती फिर भी समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग परेशान होते हैं। समुचित व्यवस्था अगर पहले ही कर ले तो गांव, किसान जो बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं कम प्रभावित होंगे। हर चीज की अति खराब होती है बारिश का भी यही हाल है। हल्की बूंदों का एक दिन, दो दिन जोरदार बारिश का मजा तो उठाया जा सकता है लेकिन बहुत ज्यादा भारी बारिश से जनजीवन प्रभावित होता है जिससे इसकी चपेट में गांव किसान आकर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। गांव की स्थिति आज बहुत जगह बद से बदतर है। बाढ़ की चपेट में आने से फसलों के साथ-साथ मवेशियों का भी नुकसान होता है। आज ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति चिंताजनक है, समुचित व्यवस्था ना होने पाने के कारण ही आज लोगों को बाढ़ की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।काश समय रहते समुचित व्यवस्था हो पाती।
निक्की शर्मा रश्मि
मुम्बई
Niktooon@gmail.com
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
संदेशपरक
बिल्कुल सही तरीके से अपनी स्थिति स्पष्ट की है बहुत ही बढ़िया रचना
Please Login or Create a free account to comment.