जीवन ही सबसे मूल्यवान है
मनुष्य जीवन मिला है अगर हमें तो जाहिर है हमें बहुत ही मूल्यवान चीज मिली है,क्योंकि जीवन से मूल्यवान तो कुछ भी नहीं है, फिर भी व्यर्थ ही हम धन और मोह, माया और बाहरी सुख में अपने आप को झोंक कर हम मूल्यवान जीवन का आनंद ही नहीं ले पाते हैं।अपनी वास्तविक स्थिति को भूल कर दूसरों के सुख से दुखी होने लगते हैं।ईर्ष्या उत्पन्न करके मन में क्या मिलता है नाहक ही व्यर्थ की चिंता दुख और कुछ नहीं ।
ईश्वर से फिर यही मांगते हैं मुझे भी यह दो वह दो और लगे रहते हैं इसी में। ईश्वर क्या सिर्फ मांगने के लिए है तभी उनकी याद आती है क्यों? ईश्वर क्या बस इसलिए महत्वपूर्ण है हमारे लिए कि हम उनसे कुछ मांग सकते हैं।हम अक्सर दैनिक जीवन में देखते हैं पूजा करते या दर्शन करते लोग पूछते ही हैं क्या मांगा ?अरे भगवान से मांगना क्या यह तो बस विश्वास होना चाहिए वह तो सब ज्ञानी है उनसे क्या मांगना। मन शांत नहीं रहता कभी, जिसे देखो भगवान यह दे देना भगवान वो दे देना। बच्चों को भी कई बार देखा है बड़े उसे सिखाते हैं भगवान से यह मांगों वह मांगों पर क्यों मांगू?पूजा श्रद्धा है, विश्वास है, कर्म करना है।
भगवान ने कहा है कर्म करने पर फल मिलेगा तो फिर भगवान से मांगने की बजाय कर्म क्यों नहीं करते। आस्था, विश्वास सबसे बड़ी चीज है मांगना सोच ही गलत है ।जीवन मिला है कर्म करें फल तो निश्चित ही मिलेगी ।दूसरों के भौतिक सुख से ,स्थितियों ,परिस्थितियों से नाहक ही दुखी होकर ईश्वर की आराधना में लग जाते हैं। ईश्वर हमें भी दे दें। आराधना करने से शांति मिल सकती है। मन शांत करने के लिए आराधना करें,जीवन में सुख शांति रहने की आराधना करें, न कि दूसरों की सुखों को देखकर सुख मांगने के लिए आराधना करें।जीवन का आनंद लेना है तो मन शांत और संतुष्ट रखें जीवन का आनंद खुद ब खुद मिल जाएगा। जीवन अनमोल है इसे द्वेष, क्रोध, लोभ से से दूर रखें शांति की अनुभूति होगी। वास्तविक आनंद तो इसी में है मन शांत हो तो इससे बड़ा आनंद हो ही नहीं सकता ।
निक्की शर्मा रश्मि
मुंबई
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
अनमोल आलेख
Very beautifully explained
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