आज का हिंदुस्तान क्या बापू की सोच जैसा है।नहीं.. हम तो पश्चिमी सोच पर चल रहे कहीं ना कहीं आगे बढ़ने की होड़ में जहां ना नैतिकता का मोल है ना धार्मिक सहिष्णुता का स्थान। बापू के सपनों से कहीं दूर हम आज हैं। बापू के सपनों का हिंदुस्तान ऐसा तो नहीं था किसान फांसी लगा रहे या खेत बेच रहे मजदूर रोटी को तरस रहे। क्रूरता बढ़ती जा रही बहू बेटियों की इज्जत तार-तार हो रही गांधी का सपना ऐसा तो ना था। आजाद हिंदुस्तान का सपना पूरा हुआ लेकिन सपनों का भारत नहीं। बापू का सपना विश्व शांति और एकता था वर्तमान युग में यह नजर तो नहीं आ रहा किसी भी दशा में भी।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति व एकता दूर-दूर भी नजर नहीं आ रही। शांति कहीं नहीं वर्तमान समय में अंसतोष, अशांति से भरा है। वजह हम और आप ही हैं। बापू ने तो बहुत कुछ कर दिखाया था और बहुत कुछ करके गए थे। बस हम ही संभाल ना सके। आज महामारी के इस दौर में खोते जा रहे हैं हम इंसानों को वजह हम ही हैं। पृथ्वी से टूटता रिश्ता वजह हम ही हैं । वर्तमान परिस्थिति की वजह आज हम ही हैं।
गांधी के अनुसार नैतिक शक्ति कभी बेकार नहीं जाती सही है . नैतिक शक्ति के आगे भौतिक शक्ति दम तोड़ ही देती है घुटने टेक ही देती है। सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले बापू आज होते तो शायद शर्मसार होते। जिस भारत में प्रेम भाईचारा और अहिंसा का पाठ पढ़ाया था अब उसका नामोनिशान नहीं। अब हैं तो बस क्रूरता, झूठ, हिंसा। सत्य और अहिंसा कहां है समझ आती है किसी को। सपनों का भारत बस सपनों का रह गया। काश ..बाबू एक बार फिर आ जाते शायद देश सुधर जाता। सत्य, अहिंसा फिर एक बार मुस्कुराते आती। सुंदर भारत का सपना शायद साकार हो जाता। सोने की चिड़िया फिर से कहलाती। एक आवाज पर लोग लोग दौड़े आ जाते और अपना फर्ज निभा जाते।
अब रह गई है तो बस खोखली बातें हिंसा, चीखना चिल्लाना, क्रूरता।
काश फिर एक बार भारत की बगिया खुशबू से महके खिलखिला उठे। भारत का सपना एक बार फिर सच हो जाए सत्य, अहिंसा एक बार फिर सामने आ जाए।
निक्की शर्मा रश्मि
मुम्बई
साहित्यकार एवं लेखिका
niktooon@gmail.com
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत सुंदर लेख हमारे समाज में इस तरह की घटनाएं घटित हो रही हैं जो चिंतनीय विषय है जल्द इसे नियंत्रित करना होगा
Please Login or Create a free account to comment.