फोन की घंटी बज रही थी सोनी ने फोन उठाया उसकी सासुमां का था।"बहु तु सुधीर की शादी में आ रही है न?एक ही देवर है तेरा अगर नहीं आएगी तो सब क्या बोलेंगे सोच!सगाई में भी नहीं आई तु"।
मांजी मैंने तो पहले ही बोला था मैं नहीं आऊँगी जब सुधीर को मन ही नहीं था तो आकर क्या करती।"नहीं बहु ऐसा नहीं है वो क्यों ऐसा चाहेगा"।
देख बहु तु इस घर की बड़ी बहु है तुझे ही परिवार को जोड़कर रखना होगा पर तु ही परिवार को अलग कर रही है परिवार तो हमेशा साथ ही अच्छे लगते हैं बेटा।शादी में रणबीर को लेकर आजा।भाईयों में तो थौड़ी बहुत बकझक होती ही है पर आना जाना नहीं छौड़ते बेटा।नौकरी कहीं करे घर तो घर ही होता है !शादी विवाह में सब नहीं आएंगे तो अच्छा नहीं लगता आजा तु भी मुझे भी अच्छा लगेगाऔर सुधीर को भी आखिर तु उसकी भाभी है एकलौती।बहु को ही परिवार को जोड़ कर रखना होता है।
मांजी आप मुझे ही दोषी ठहरा रही हैं.. मैं ही गलत हूँँ,तो मेरा आना जरूरी ही नहीं फिर।सुधीर,रणबीर को तो आप कुछ नहीं बोलतीं आप बस मुझे ही सुनाती हैं।
बेटा समझाना चाहती थी मैं तुझे, आगे तेरी मर्जी।सोनी की सास ने फोन रख दिया।
रणबीर तुम्हारी मां हमेशा मुझे ही दोष देती है मैं ही गलत हूँ इतना कहकर वो रोने लगी।सोनी मां चाहती है हमसब बस साथ रहे और कुछ नहीं।"मुझे नहीं रहना साथ बस और तुम्हें जाना होगा तो तुम जाना मैं नहीं जानेवाली सुधीर की शादी में!और हाँ मेरी बहन की शादी तय हो गई है मैं वहाँ पहले चली जाऊँगी तुम शादी के दो दिन पहले आ जाना"।
"मैं वहाँ क्या करूंगा तुम्हारी बहन की शादी है तुम जाओ न।
क्यों?तुम क्यों नहीं जाओगे?
मैं अपने भाई की शादी में जाऊँगा तुम अपनी बहन की शादी में जाओ"
आप को जाना होगा लोग क्या बोलेंगे,मैं क्या जबाब दूंगी सबको।
मां से पुछो तुम्हारे नहीं जाने पर वो क्या जबाब देंगी सबको !सगाई में भी दीया होगा और अब शादी में भी उन्हें देना होगा।जब घर की बहु नहीं होगी शादी में तो उनको भी तो जबाब देना होगा उनसे पुछ लो।
"तुम नहीं जाओगे"..सोनी ने पुछा।
"नहीं" तुम अपने घर जाओ और मैं अपने घर,..रणबीर ने सोनी से कहा।
सोनी दो-तीन दिन सोचती रही पर रणबीर टस से मस नहीं हुआ।सोनी को सुधीर की शादी में आना ही पड़ा।
अच्छा किया तुने बहु जो तु आई परिवार में तो ये सब चलता ही रहता है..तो क्या रिश्ते छोड़ देते हैं नहीं न..तु समझ गई और आ गई यही बहुत बड़ी बात है और खुशी की भी।
"हाँ मांजी आती कैसे नहीं मेरे देवर की शादी जो है"।
चल में जरा सब मेहमानों को देखती हूँ तु भी आजा ऊपर सासुमां ने सोनी से कहा।"हाँ मां आप चलो में आती हूँ"
रणबीर दूर खड़ा बातें सुन रहा था मां कितनी खुश हो गई बहु के आने से ..पर..सोनी जो मुखौटा लगा कर आई है वो तो सिर्फ रणबीर को ही पता है मुखौटा के पिछे सोनी का असली चेहरा न ही दिखे तो अच्छा है कम से कम शादी में तो माँ खुश रहे।
थैक्स सोनी शादी में आने के लिए और पुरी शादी में साथ देने के लिए भी माँ की खुशी देखकर ही मैं खुश हूँ आज।
हाँ वो तो ठीक है, पर रणबीर तुम मेरे घर शादी में तो पक्का आओगे न अब मैं तुम्हारे कहने पर यहाँ तो आई हूँ अब तुम्हे जाना ही होगा।हाँ हाँ वो भी मेरा परिवार है मैं तो जरूर जाउंगा और जाता भी पर तुम्हें यहाँ लेकर आने का मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था।इसलिए मुझे ये सब करना पड़ा।
पिछे खड़ी रणबीर की माँ ने सारी बातें सुन ली,जिस बहु के आने पर वो इतनी खुश थी वो बहु शर्तों पर यहाँ आई है,आँखे बरबस ही छलक गई,उनके सामने बहु का मुखौटा जो खुल गया था।
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