तनहाइयों में मैं अब तड़पने लगा हूँ
हर पन्नों पर तुझको लिखने लगा हूँ
हर पल आस तेरे आने की रखने लगा हूँ
सच कहूं जिंदगी से अब थकने लगा हूँ
शिकवा शिकायत कर लूं मैं जितनी
खुद को ही खुद से छुपाने लगा हूँ
अकेले अंधेरे कोनों में मुस्कुराने लगा हूँ
हर रोज ख्वाबों में तुझको सजाने लगा हूँ
अब इनायत हो रही है हर पन्नों पर
गजल तेरे नाम की बस लिखने लगा हूँ
छोड़ दिया है जग सारा हमने बस तेरे लिए
चुपके से तेरे आने का इंतजार करने लगा हूँ
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बेहतरीन सृजन
Please Login or Create a free account to comment.