मैंने पूछा जिंदगी से कौन हो तुम
उसने कहा जो तू जी रहा है वही तो हूं मैं
तेरी सांसों में बसती हूं तेरे साथ ही तो चलती हूं
कभी शांत नदी सी बन जाती हूं
कभी चंचल झरनों सा बह जाती हूं
रहती हूं किसी के दिल में और
धड़कती हूं किसी के दिल में
कभी खुशी, कभी गम दे जाती हूं
कभी किसी के सांसों से चली जाती हूं
कभी किसी के सांसों से बंध जाती हूं
सभी के सुख-दुःख का साथी हूं
मानो तो सब से खूबसूरत हूं
माना कभी थक सी जाती हूं
पर सब्र रखो तो रूक भी जाती हूं
मर मर कर जीना नहीं तुम
जीवन है कोई खेल नहीं
कभी बहता दरिया भी बन जाती हूं
कभी छांव भी दे जाती हूं
वक्त की ठोकर से घबरा मत
जिंदगी है ये इम्तिहान लेती है
विश्वास और संबल से जीत मिल ही जाती है
मौलिक रचना
निक्की शर्मा रश्मि
मुम्बई
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
सुंदर रचना
वाह! जिंदगी की अहम् सच्चाई बेहद शानदार रचना
वाहह.. वाहह बेहतरीन रचना 👌🏻 👌🏻
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏💐
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