भ्रष्टाचार दुनिया में पहली एक ऐसी बीमारी है जिसका कोई इलाज ढूंढा नहीं जा सका। आज तक नहीं.. कितने नेता आए और गए भ्रष्टाचार खत्म करने का पाठ पढ़ा कर लेकिन रिजल्ट आज भी शुन्य। हालांकि 9 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाया जाता है। भ्रष्टाचार के खिलाफ दुनिया ने एकजुट होने का फैसला किया लेकिन आज भी किसी को मिला कुछ भी नहीं। भ्रष्टाचार आज भी सब को लील रहा है। आज भी हर देश की यह समस्या बनी हुई है।
आज भ्रष्टाचार और राजनीति की बात आखिर क्यों? इसलिए क्योंकि आज दुनिया महामारी से जूझ रहा वहीं
भ्रष्टाचार और राजनीति मुंह फाड़े खड़ी है। मौका का फायदा उठाने को। कैसे और कब?इस महामारी में भी हर पल को वो लपक लेना चाहते हैं जिससे उन्हें फायदा पहुंच सके। महामारी से लोगों की जान जा रही कितने घर बर्बाद हो चुके लेकिन राजनीति खत्म नहीं हो रही। कुर्सियों की लड़ाई कहां खत्म होने वाली आम लोगों से उन्हें क्या बस कुर्सी मिल जाए।
"सत्ता हाथ आते ही वही राग अलपाना है
भ्रष्टाचार मिटाना है, भ्रष्टाचार मिटाना है"
लेकिन भ्रष्टाचार की आड़ में ही यह कुर्सियों का खेल चलता रहता है और होता वही है "ढाक के तीन पात"। महामारी में भी राजनीति और भ्रष्टाचार पूरे जोर पर है। दवाइयों की कालाबाजारी से लेकर खाने-पीने के सामानों तक में भ्रष्टाचार और राजनीति हो रही है। जिसमें लोग बाज नहीं आ रहे भ्रष्टाचार का मतलब ही है "भ्रष्ट" मतलब "बिगड़ा" "आचार" मतलब "व्यवहार", "आचरण" और आज कई लोग यह साबित भी कर रहे हैं कि वह भ्रष्टाचार में पूरी तरह लिप्त है। भले दुनिया इधर की उधर हो जाए लोग मरते जाए कई घर बर्बाद होते रहे लेकिन भ्रष्टाचार रुकने वाली नहीं। भ्रष्टाचार के कई रूप हैं दवाइयों की कालाबाजारी से लेकर टैक्स चोरी से लेकर खाने-पीने के सामान से लेकर यह हर जगह है लेकिन दया भावना, करुणा इनमें कहीं भी नहीं। महामारी में दवाइयों की कालाबाजारी चरम सीमा पर है। लोग अपने लाभ के लिए राजनीति से बाज नहीं आ रहे हैं। देश आज जिस महामारी से गुजर रहा बस धैर्य और सहयोग की जरूरत है ना कि भ्रष्टाचारियों और राजनीति करने वालों की।देश आज इस कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा एक दूसरे को सहयोग करें दूरी रखें लेकिन शरीर से दिलों से नहीं। राजनीति करें दिलों से दिलों को मिलाने की, एक दूसरे को सहायता पहुंचाने की ना कि भ्रष्टाचारियों के साथ मिलकर अपने ईमान को गिराने की। यह वक्त है संभल जाओ नहीं तो शायद इससे भी बुरी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। भ्रष्टाचार और गलत राजनीति छोड़ो अब भी समय है समझो। कदम से कदम मिलाकर सही रास्ते पर चलो।युवाओं को एक सुंदर समाज देने की सोचो।
"महामारी से सबक लो अब भी वक्त है सभंल लो"
क्या पता कैसा हो कल अपना, कुछ तो राह सही पकड़ लो"।
निक्की शर्मा 'रश्मि'
मुंबई
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