मोबाइल से पढ़ाई

Mobile is helpful

Originally published in hi
Reactions 0
260
rekha jain
rekha jain 04 Jul, 2022 | 1 min read

मोबाइल से पढ़ाई लिखाई का माहौल कैसे?

++++++++++++++++++++++++++


आज की परिचर्चा का विषय बहुत ही चिंतनीय और विचारणीय प्रश्न है समय रहते यदि इसका समाधान ढूंढा नहीं गया तो बच्चों के भविष्य को हम संवार नहीं सकते।

सरकार को इस दिशा मेंकाम करना अभिभावकों और बच्चों को इसके लिए प्रोत्साहित करना

होगा, अन्यथा इसका असर दूरगामी होगा, जो सामािजक हास का कारण बनेगा।

उम्मीद की जानी चाहिए कि देश की यह भावी पीढ़ी हमारी थोड़ी सी लापरवाही से

कहीं लड़खड़ा न जाए। तो आइए कुछ

ऐसा करें कि इस दौर के शिकार सभी बच्चों का मानिसक और शारीररक विकास संचार दुबारा से हो सके।

"आज बना मोबाइल सबके जी का जंजाल

इक पल की जुदाई में भी पूछे कई सवाल।

घर परिवार मे चल रहा मोबाइल का राज।

बच्चे जवान बूढ़े सभी के मन का है ताज।

पढ़ना लिखना मोबाइल से बच्चे खेले खेल

रिश्ते भी इससे निभाये नहीं तो करते मेल।"


 फोन विज्ञान का ऐसा ही अविष्कार हैं जो आज हमारे दैनिक जीवन का अटूट अंग बन गया हैं. शिक्षक हो या छात्र सब्जी विक्रेता हो या चाय वाला, मजदूर हो या चाय वाला, या सफाईकर्मी या व्यवसायी हो या किसान मोबाइल फोन के बिना उसका आकार नहीं चलता।आजकल बच्चे छोटे पन से कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं।माना कि मोबाइल मनोरंजन का साधन है पर हर समय उसी में लगे रहना उन पर नकारात्मक प्रभाव देखा जा रहा है।एक जगह घंटो बैठकर गेम खेलना।वहीं पर खाना पीना। नतीजा मोटापा बढ़ना तथा अन्य बीमारी से ग्रस्त होना।


जब-तक मां बाप बच्चों के साथ समय नहीं बितायेंगे , समय समय पर बाहर घुमाने नहीं ले जायेंगे तब तक मोबाइल का साथ नहीं छोड़ेंगे । आज हालात यहां तक बढ़ गये है बच्चे बाहर नहीं जाना चाहते और मां -पापा से बोलते हैं आप जाओ हम मोबाइल में गेम खेलेंगे। इस स्थिति को मोबाइल की लत कहते हैं। मोबाइल फोन का आविष्कार हमें सशक्त बनाने के लिए किया गया था, लेकिन अब यह हम पर हावी होने लगा है।


मोबाइल फोन की आदत से छुटकारा पाना मुश्किल हो सकता है लेकिन असंभव नहीं।

हम सोशल मीडिया, टेक्सटिंग, गेमिंग या वीडियो देखने जैसी मोबाइल गतिविधियों के लिए एक समय निर्धारित कर सकते हैं ताकि अपने अन्य कार्य समय पर कर पाए। हम पेंटिंग, नृत्य, इनडोर या आउटडोर गेम खेलने जैसी अन्य मनोरंजक गतिविधियों में भी संलग्न हो सकते हैं ।


अगर हम उचित प्रयास करे तो धीरे- धीरे इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। अगर हम इसका सहीं प्रकार से उपयोग करते है तो यह जी का जंजाल नहीं बनेगा।


 भावी पीढ़ी हमारी थोड़ी सी लापरवाही से कहीं लड़खड़ा न जाए। इसलिए ऐसा करें कि इस दौर के शिकार सभी बच्चों का मानसिक और शरीरिक विकास संचार दुबारा से हो सके।इसके लिए समयानुसार बच्चों पर ध्यान देना चाहिए और घर का माहौल खुशनुमा रखना चाहिए।



डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद

स्वरचित व मौलिक अप्रकाशित रचना 

       -+-+-+-+-+-+-+-+-

0 likes

Published By

rekha jain

rekhajain

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.