Titleतन्हाई

Loneliness

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rekha jain
rekha jain 04 Jul, 2022 | 1 min read


#नमस्कार 


#विषय: तन्हाई

#विधा- कविता

#दिवस: सोमवार

#दिनांक-4\07\22

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     *तन्हाई*


मैं और मेरी तन्हाई

ख्यालों में मुस्कराई

हासिल हुई मुझे तन्हाई

याद कर अपनी शहनाई

और तुम मेरे साथ चली आई

याद तेरी नहीं जाती भुलाई

आंखों से रूकती नहीं रुलाई

शायद यही है तन्हाई

आंचल के कोर में छिपाई

सही ना जाती अब जुदाई

तूने क्यों दिखाई मुझे बेवफाई

अब तो मागूं जीवन से मैं विदाई।

तन्हाई मुझे पल-पल तड़पाई।

सहन होता नहीं समय कष्टदाई।

ऐसी आफत कर्मों मुझे पर ढाई।

करो कुछ करिशमाई

हे ईश्वर दे दो मुझे रहनुमाई।


डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद

स्वरचित व मौलिक रचना



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