क्यों बैठा है द्वार

Sitting on the gate

Originally published in hi
Reactions 0
295
rekha jain
rekha jain 10 Jul, 2022 | 1 min read

क्यों बैठा है द्वार

आधार छंद-"मंगलमाया"    

(मापनीमुक्त मात्रिक)

विधान- 22 मात्रा, 11-11 पर यति, गाल-यति-लगा, शेष समकल 

समान्त- "आर", पदान्त- "समझना दूभर है

     क्यों बैठा है द्वार


क्यों बैठा है द्वार, समझना दूभर है,

क्यों रुठा है यार , समझना दूभर है।(1)


झूठी कर मनुहार समझना जरूरी अब

समझ रहा अधिकार समझना दूभर है(2)


भौतिकता की हौड़ , में दौड़ लगा रहे

सपनों का संसार, समझना दूभर है।(3)


दिखा रहा औकात, बन कंगाल घूमें 

पलपल मांगे उधार, समझना दूभर है।(4)


अपनों से ही मोह, छोड़ा तोड़ा सभी

करता पुष्पित वार, समझना दूभर है।(5)


सबके बीच रहकर,ढालता अपने को

जीवन लगे उदार, समझना दूभर है।(6)


कभी लगा है ढेर, खुशियों का सारा

महिमा अपरम्पार, समझना दूभर है।(7)


"रेखा"कलुषित वेग, हमेशा लड़वाता

मानव का व्यवहार, समझना दूभर है(8)


डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद


0 likes

Published By

rekha jain

rekhajain

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.