मंच को नमन
आज का प्रथम पुष्प माँ शारदे के चरणों में सादर समर्पित ........
प्यार की झंकार
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आधार छन्द - रजनी (मापनीयुक्त मात्रिक)
2122 2122 2122 2
समान्त - आर, पदान्त - को देखो।
जिंदगी में प्यार की झंकार को देखो
प्यार में तुम साधना की धार को देखों।
कौनहै जिसनेन पाया प्यार में धोखा।
प्यार देखो और उसके वार को देखों।(1)
मिलनहीं पाता सभी को प्यार का मेला।
प्यार है अनमोल उस उपहार को देखों।(2)
बोलबाला हो रहा है लूट का जग में।
खो रहे हैं मूल्य सब बाजार को देखों।(3)
प्यार की है राह कांटो से भरी सारी।
हौसलों से प्यार की तुम धार को देंखों।(4)
टूटते रिश्ते सभी के गलत फहमी से।
साधना से प्यार के आकार को देखों।(5)
डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद
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