Savan

Savan month

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rekha jain
rekha jain 19 Jul, 2022 | 1 min read

मेरी शादी के बाद ये पहला सावन मेरे जीवन में खुशियों की बरसात लेकर आया।मैं पूरी नहीं समा रही थी।और अपने मायके में आ 

 गई थी क्योंकि पहला सावन मायके में मनाने की परंपरा है। मेरी और भी सखियां अपने अपने मायके में आ गई थी। आज तीज का त्योहार है सारी सखियां हरी हरी साड़ी पहन कर आई झूला झूलने। नीम के पेड़ पर झूले पड़े हुए थे। सब सहेलियों के हाथों में मेंहदी लगी थी और मेंहदी रची हथेलियां पूछें बारम्बार इस सावन के माह में प्रियतम आए ना द्वार? ऐसे ही हंसी मजाक चल रहा तब एक गौरी चूनर धानी ओढ़कर चुपचाप बैठी थी 

चूनर धानी ओढ़ कर,चली पिया के डोर ।

घर में रास रंग मचा, हुड़दंगों का शोर।

गौरी क्यूॅ चुपचाप हो,प्यार करो स्वीकार।

जीवन भर मिलता रहे, खुशियों का उपहार।

उस गौरी से सखियां पूछती रही कि तुम उदास क्यों हो तब वह बोली मुझे तो सावन में प्रियतम की याद आ रही है और वो यहां है नहीं इसलिए मैं चुप चाप हूं।तब सखियां उसको समझाती है कि कोई जरुरी काम लग गया होगा तू थोड़ा धीरज रख यदि तुम्हारा प्रेम निश्छल और गहरा है तो वो जरूर आएंगे।



डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद 




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