rekha jain
rekha jain 02 Jul, 2022
वृक्ष
नदी किनारे था मेरा गांव। वहीं पर मिलती ठंडी छांव खेला करते थे नंगे पांव लगाया करते थे वहां दांव राहगीरों का लगता वहां जाम तनिक करते थे राहगीर आराम। याद आती थी वो सुहानी शाम मिल बैठकर बातें करते चारों धाम शुद्ध पर्यावरण था आठों याम। बीमारी का था नहीं काम। डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद

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by rekhajain

02 Jul, 2022

#microfable

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