rekha jain
31 Dec, 2022
अलविदा बाईस
अलविदा बाईस
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अलविदा बाइस बाइस
ज़रा भी ना बिगड़ा साइज
इसके सिवा कुछ न किया
सब कुछ था नाइस नाइस
बाइस में टूटे आसों के रंग।
जीत ना पाए कोरोना जंग
बचा ना पाए अपने ही अंग
बहुत ही किया कोरोना तंग
छूटी सभी मचलती तरंग।
ख्वाबों का था मृदुल संग।
पूरी ना हो पाई कोई उमंग।
कोई तो बताए मुझे ढंग।
कुछ घंटों में आया तेईस
सबके लिए मंगल आशीष
ना हो आक्रांत और भ्रांत।
तन्मय व लीन रहे तेईस।
डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद
स्वरचित व मौलिक रचना
Paperwiff
by rekhajain
31 Dec, 2022
#microfable
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