rekha jain
03 Jun, 2023
Picture promt-1
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ख्वाबो का दरख़्त अक्सर मन के आंगन में लगा रहता है। कभी तो फलता फूलता है और कभी यूं ही बेजान हो कर टूटकर बिखर जाता है।। दिन-रात पलता रहता है हृदय के भीतर। सुबह शाम आंसुओं के नीर से पुष्पित पल्लवित हो या है और अनेक फल आते रहते है।
डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद
स्वरचित व मौलिक रचना
Paperwiff
by rekhajain
03 Jun, 2023
microfable
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