बनल रह
बनल रह💥💥💥💥💥
सुबह की बेला.....।
छत पर सूरज का आगमन
एक लोटकी जल ले पहुँची।
छत से नजर आई "वो औरत"
मेरी नजर उस नजर से मिली।
मुझे कुछ समझ न आया।
कुछ हिचकिचायी- सी ,
कुछ घबड़ायी हुई- सी।
मेरी नजर उसी तरफ गई।
जिधर "वोऔरत"खड़ी हैं।
मैंने कुछ ना सोचा ना समझा
बस दोनों हाथ जोड़कर
प्रणाम कर मुसकुरा दी।
"वोऔरत"वहीं से अपने
दोनों हाथों को उपर कर🙌
"बनल रह"कहखिलखिला दी।
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Paperwiff
by priyankasagar