Preeti Gupta
Preeti Gupta 11 Sep, 2020
बिखरी यादें
रात और मैं जब मिलते रूबरू , करते है बैठ के गुफ्तगु, जहाँ रात मुझे अरमानों की चादर सी लगती ,जिस पर बैठकर मैं सितारों की रोशनी में अपने बिखरी यादों के पन्नों को पढ़ती हूँ ।।

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by preetigupta1

11 Sep, 2020

उद्धरण (बिखरी यादें)

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