Preeti Gupta
19 Oct, 2020
बागवाँ
पैरों के नीचे से जमी मत खीचों।
सिरहाने रखे है सपने उन्हें सीचों ।
बागवाँ बन मौका दो खिलने का,
उड़ने दो स्वछन्द ख़्वाब पूरे करने अपने ख्वाबों को।
Paperwiff
by preetigupta1
19 Oct, 2020
कल्पना को पंख दो
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