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ये एक्कीस दिन

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Pragati gupta
Pragati gupta 06 Apr, 2020 | 0 mins read

इन दिनों क्या करे?

आज के युवाओं की सबसे बड़ी समस्या है कि आखिर इन दिनों हम करे तो करे क्या ?

आज हम जिस दुनिया में रह रहे है वो सिर्फ आधुनिक चीज़ों की दीवानी है देखा जाए तो दीवानी ही नहीं बल्कि लोगों ने खुद को चीज़ों के आधीन कर लिया है ।

जिस में सबसे पहले आता है मोबाइल ।

हम सब की सुबह मोबाइल से होती है और दिन मोबाइल के बिना गुजरता नहीं रात में जब चादर ओढ़े तो पलकें बिना मोबाइल देखे झपकती नहीं।

आज हमने खुद को इतना बेबस कर लिया की कभी_ कभी हम खुद नहीं समझ पाते कि हम क्या हैं क्यू है किस के लिए है ।

एक दिन मैं निराश थी तब अचानक मेने अपने आप को माँ के आँचल में पाया उन होने मेरे सर पर हाथ रखते हुए पूछा _ बेटी क्या हुआ ? मैं थोड़ी देर बाद बोली माँ कुछ नहीं मन थोड़ा उदास है , बोर हो रहीं हूँ । तब माँ ने मुझसे कहा कि बेटी जाओ बैठक में दादा दादी और सब लोग बैठे हैं बो सब केरम खेल रहे हैं । मैं वहां गई तो सब लोग मुझे देखने लगे और उनका ऐसा देखना कहीं ना कहीं सही भी था । में शायद एक साल बाद सबके साथ बैठी थी । पहले थोड़ा अजीब लगा पर जैसे जैसे समय बीता केरम खेला बातें की तो मैंने खुद को बहुत खुश पाया ।

तब मैंने जाना कि खुशियाँ मोबाइल नहीं परिवार है ।

खुद को मोबाइल के आधीन नहीं बल्कि परिवार को खुद के आधीन करे ।

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