झिल्ली डायन( भाग - 7)

डायन का कहर

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Pragati gupta
Pragati gupta 18 Aug, 2020 | 1 min read

"परिवार पर कैसे हुआ ये सब"?

पांच साल पहले की बात है । मैं ,अपने परिवार के साथ रहता था , मेरे परिवार में मैं ,बापू और मां थीं हम तीनों बहुत खुश रहा करते थे । बापू मुझे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाना चाहते थे इसलिए उन्होंने मुझे गांव से दूर शहर पढ़ाई करनें भेज दिया।मै वहां मेहनत और लगन से पढाई करने लगा ।बापू हर महीने मुझे पैसे भेजते मैं उसी मे अपना खर्च चलाता था ,पीछले साल अपनी पढ़ाई पूरी करकर जब मैं गांव लौटा तो सब बहुत खुश थे ,बहुत जल्द मुझे नौकरी मिलने वाली थीं ,पर हमारी खुशियों को किसी की नजर लग गई ,पता नहीं कहां से वो डायन मेरे पीछे पड़ गई उसने मुझे अपने कब्जे मे कर मारने की कोशिश की पर भगवान के आशीर्वाद से मैं बच गया ,और गांव से दूर भाग आया ,जब दो महीने बाद मैं गांव वापिस गया तो पता चला कि मेरे परिवार का खून हो गया है और ये सब उस डायन ने किया था। मैं बरबादहो गया जबसें मैं यही इसी दुकान पर रहता हूँ इससे जो भी कमाई होतीं हैं ,उसमें खऔर गरीबों का पेट भर कर खुश रहता हूं ।अब यही मेरी जिंदगी हैं।"

"अच्छा तो ये बात है, पर इस गांव पर भूतों का राज कैसे?

"बहुत लम्बी कहानी है साहब ,सब आज ही जानोगे क्या?, ये भोजन लगा दिया है ,आप खा कर आराम कीजिए कल सुबह आपको निकलना भी हैं।

"राज जानना तो बहुत कुछ चाहता था ,पर वो चुपचाप खाना खाकर खो गया।"

"अगली सुबह वो नहा-धोकर नीलापर्वत की ओर निकल गया और उस पर्वत की चढाई शुरू कर दी। चलते चलते वो थक गया उसने वहीं पर्वत पर जैसे ही बैठने के लिए पैर पसारा पीछे से किसी औरत के रोने की आवाज आई उसने पीछे मुडकर देखा तो एक औरत जिसके सिर से खून बह रहा था ,मदद के लिए चिल्ला रही थीं और रोते जा रही थी । राज उसकी मदद के लिए जैसे ही नीचे उतरने लगा कि उसे बूढी औरत की बात याद आई। ये काम झिल्ली डायन का भी तो हो सकता है ,वो नहीं चाहतीं कि मैं वहां तक पहुंच पाऊ । ये सोचकर वो बिना रूके आगे बढ़ गया और चलता रहा करीब 4 बजे के टाईम जब उसने आसमान की ओर देखा तो सूरज डूबने पर था ।

"अरे अरे सूरज डूबने पर हैं और रास्ता अभी भी बाकी है" ।

उसने अपने कदमों को तेज किया और लगभग दो घंटे बाद उसने चढ़ाई पूरी की।

"पर ये क्या यहां तो पानी ही पानी हैं चारों ओर"?राज ने यहां-वहां नजर घूमाते हुए कहा।

अरे हां, मैं तो भूल ही गया,बूढी औरत ने बताया था कि इसमें शीश झुका कर कंडोलिया बाबा का नाम लेना है ।

वो अपना सामान नीचे उतारकर अपना शीश झुकाता हैं और आखें बंद कर बाबा कंडोलिया का चार बार नाम लेता है और जब आंखें खोलता है तो वो देखता हैं ----।

क्रमशः

Pragati gupta

ुदका

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