साहब, यहां से10,15की.मी. दूरी पर ही अब कोई साधन मिल सकता हैं "।
"क्या"?"10,15की.मी. चलो ठीक हैं।मैं निकलता हूँ आपने मुझे यहां तक का सहारा दिया ।उसके लिए शुक्रिया"। राज ने डरते स्वर मे कहा
राज वैसे तो बहुत निडर और बहादुर था पर आज उसने डायन के बारे मे गांव में जो बातें सुनी थी वो उसे रह रहकर याद आ रही थीं।
राज एक कांस्टेबल था जिसका ट्रांसफर अभी ही पास के शहर मे हुआ था और किसी केस के बारे मे जानने के लिए वो दो दिन पहले ही 'कोछा ' गांव पहुंचा था पर उसे कहाँ पता था कि वहां उसका सामना ऐसी घटना से होगा। जिस केस के बारे मे वो छानवीन कर रहा था उस केस में एक आदमी को सिर्फ नाखूनों से उसका गला फाड़कर मारा गया था।गांव वालों का कहना है कि ये काम 'झिल्ली डायन'का हैं, पर राज इन बातों को मजाक मान रहा था
लेकिन आज सुबह जब वो नींद से उठा तो उसने देखा कि उसके पंलग पर कुछ लाल चूडिय़ां टूटी पड़ी है और बालों के कुछ गुच्छे भी बिखरे पड़े हैं, ये देखकर राज एकदम चौंक जाता हैं।वो तो अकेला सोया था तो ये चूड़ी और बाल कहाँ से आए।वो घबरा गया उसने तुंरत ये बात गांव वालों को बताई ,गांव के बूढे-पुराने लोंगों ने कहा कि झिल्ली डायन अपना शिकार ऐसे ही करती हैं ।वो जिसें भी मारना चाहतीं हैं उसके साथ ऐसी ही घटना होती हैं। पहले झिल्ली डायन उसके साथ बैड पर सोने आती हैं, फिर उसको सम्मोहित कर अपने साथ'सरिया'नदी जो कि गांव से 20 ,25 कि.मी. पर हैं वहां ले जाती हैं, फिर उसके साथ नदी मे चार बार इत्र का साबुन लगाकर डूबती मारती है और आखिरी डूबकी उसे मे ही वो नदीं की सुंरग के रास्ते से अपनी हवेली ले जाती हैं।वहां उसके साथ प्रेम प्रसंग रचाकर जब उसके देह की भूख मिट जाती हैं तो अपने नाखूनों से नोंचकर उसे नदी के पास वाले रास्ते पर फेंक जातीं हैं।
ये सब सोचते -सोचते राज ने आध रास्ता तय कर लिया था, डर के मारे राज का बुरा हाल था कि जबहिं उसे किसी के घूंघरूओ की आवाज सुनाई दी उसने आगे-पीछे देखा तो कोई नहीं था। वो हनुमान चालीसा पढ़कर आगे बढ़ने लगा कि जबहिं किसी ने पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखा ,वो पीछे मुड़ा तो दंग रह गया एक खूबसूरत सी औरत जिसनें लाल रंग की साड़ी पहन रखी थी उसने मांग भरी रखी थी और उसके चेहरे पर एक अलग ही नूर था कि कोई भी नौजवान आसानी से अपना होश खो बैठे उसने नाभि से साड़ी बांध रखी थी और नाभि से साड़ी पहनने वाली औरतों की कमर अलग ही चिकनी दिखती हैं। राज उसे देखकर अपना होश खोने लगा कि जबहिं "कहाँ जा रहे हो बाबूजी" औरत ने चेहरे पर हल्की सी मुस्कान बिखेरते हुए कहा ।
"जी मेरी गाड़ी खराब हो गई ,मैं पास के शहर जा रहा हूँ।
"अरे मैं भी वहीं जा रही हूं, चलिए साथ चलते हैं।
राज एक पल तो चौंक गया कि इतनी रात में एक अकेली औरत……….। पर उसकी मनमोहक छवि देखकर वो इतना उलझ गया कि वो उसे अपने साथ लेजाने तैयार हो गया।
कौन है आप, आपको डर नहीं लगता आप इतनी रात में अकेले जा रही थी ?"राज ने एक साथ इतने सारे सवालों की बौछार कर दी।
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