"कौन हैं यहां ,सामने आओ "।
"तेरी मौत " डायन का ऐसा विकराल रूप उसनें कभी नहीं देखा था ।
"काली साड़ी उल्टे पैर ,बड़ें बडे नाखून बाहर निकले हुए दांत ,लंबे-लंबे बाल और हाथों मे खून का कटोरा "। डायन का ऐसा रूप देखकर राज के पैरों तले जमीन खिसक जातीं है ,राज ने पहली बार डायन को देखा था ।
"कहां बचते जाएगा तूं मुझसे , देख तुझे आना ही पड़ा "।
राज इस हालत में नहीं था कि कुछ बोल सके वो पसीने से पूरा गिला हो चुका था ,उसे समझ नहीं आरहा था कि दिन के उजाले मे कैसे डायन इस रूप मे आ सकती हैं । जबकि इन बुरी शक्तियों का समय तो रात मे होता है ।ये सोच सोच राज की हालत बिगड़ती जा रहीं थीं जबहिं वो देखता कि डायन के लंबे लंबे नाखून धीरे धीरे उसके गर्दन के पास आरहे हैं उसके आखों के सामने अधेंरा छा जाता हैं और वो वहीं बेसुध गिर जाता हैं ।
"अरे ! सिर इतना भारी क्यों है आज" । कहाँ हूँ मैं ,मुझे तो वो डायन मारने वाली थी तो मैं यहां कैसे और वो डायन कहाँ गई "।
"बेटा तुम्हारे सारे सवालों के जबाब मिलेंगे पर पहले तुम आराम करों तुम्हें आराम की बहुत जरूरत हैं । अपने बाजू पर देखो कितना बड़ा घाव हैं "। पीछे से लकड़ी के बल पर चलती हुई बूढ़िया ने कहा ।
राज को दर्द का एहसास होता हैं और फिर से वो वहीं बेहोशी की हालत मे सो जाता हैं । करीब १ घटें बाद उसकी आंखे खुलतीं हैं ।
"अरे ! मुझे यहां से भागना होगा पता नहीं ये बुढ़िया कौन हैं ,कहीं ये डायन की ही कोई माया हुई तो ?? "
"नहीं ,नहीं मैं रिस्क नहीं ले सकता , अब भले ही सस्पेंड हो जाऊ परजाके कमीशनर सर से कह दूंगा कि मै नहीं सम्भालूंगा ये केस । 'जान हैं तो जहाँ है'।
राज उस जगह से भागने के लिए सबसे पहले दरवाजा खोलता हैं पर ये क्या दरवाजा तो बाहर से बंद हैं , वो हैरान होकर सिर पर हाथ रखकर पीछे मुड़ता हैं तो उसकी नजर खिड़की पर पड़ती हैं ,पर खिड़की बहुत ऊपर थी उस तक पहुंचने के लिए उसे किसी चीज का सहारा लेना पड़ेगा जबहिं वो देखता है एक कोने मे टूटा सा स्टूल पड़ा है , वो झट से स्टूल उठाता है और उसपर चढकर खिड़की तक पह़ुंचने की कोशिश करता है पर बाजू के घाव के कारण वो बल नहीं लगा पाता और उसका पैर फिसल जाता हैं और वो गिर जाता हैं पर ये क्या उसे किसी दर्द का एहसास नहीं होता 'ऐसा कैसे हो सकता कि मैं इतने ऊपर से गिरूं और मुझे चोंट न लगे 'राज अपने मन मे बड़बड़ाता हुआ पीछे देखता है तो चीखकर चिल्लाता हैं । बूढ़िया अपनी गोद फैलाए बैठी थी ।
"आप यहां कैसे, मुझे तो दरवाजा खुलने की आवाज भी नहीं और दरवाजा भी बाहर से बंद हैं तो आप यहां कैसे आई ?कौन हैं आप , मुझे जाने दीजिए न "।
"जाने दूंगी पर कुछ जानते जाओ ,जाने से पहले "। बूंढिया की आवाज सुनकर राज को एक पल के लिए दया आजाती है पर वो उस पर अभी भी भरोसा नहीं कर पा रहा था "।
"तुम्हें क्या लगता हैं झिल्ली डायन तुम्हें छोड़ देंगी अरे उसकी नजर पड़ चुकी हैं तुम पर अब तुम पाताल मे भी जाके छिप जाओ तो पाताल से भी खोज लाएगी वो तुम्हें "।
"क्यों कर रही हैं, वो डायन ऐसा । क्या बिगाड़ा हैं मैंने उसका "। राज रोते रोते बोलता है
"बिगाड़ा थो मेरे बेटे भी नह था उसका पर फिर भी उसे मार डाला उस डायन ने "। ये सुनकर तो राज की मानों कोई निंद्रा टूटतीं हैं।
"क्या , ये क्या कह रही हैं आप "।?
" हां बेटा मैं सच कह रहीं हूं । 11 साल पहले मेरा बेटा शहर से मुझसे मिलने आया था पर पता नहीं कैसे इस डायन की नजर उस पर पड़ गई और उसने मेरे बेटे को मार डाला " ।
"आप सच बोल रही हैं"।
"हां ,बेटा झूठ बोलकर मुझे क्या मिलेगा ?"
"कौन है ये डायन ,ये क्यों सबको मारती है "।
मैं इसके बारे मे सब जानती हूं पर………
"पर क्या ?"……..
अगले भाग मे …।
Pragati gupta
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Waiting for next part
Sure ,it's out read it and give your opinion
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