न्याय

न्याय की तस्वीरे

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Pragati gupta
Pragati gupta 11 Sep, 2020 | 1 min read

घडी में सुबह के 7 बजे थे। पूनम, ओ पूनम! अब तो उठ जा, देख सुबह के 7 बज गए।पूनम की मां चिललाई! खिड़की से बाहर की ओर झांककर सामने लगे बरगद के पेड़ को देखकर पहल् तो पूनम के चेहरे पर मुस्कान आई ,और देखते ही देखते उसके चेहरे के भाव मायूसी में बदल गए | जैसे उसे कोई पुराना सपना साद आगया हो | मां ने फिर आवाज लगाई | आई मां ........   पूनम ने जबाब दिया और सीढियों से उतरकर नीचे आई और बोली -मां ,ओ मां कहां हो? जल्दी से मेरा टिफिन पैक करों ..............मैं लेट हो रही हूं| मां ने टिफिन पकड़ाते हुए कहां ...हां बेटा ले... ये रहा तेरा टिफिन | पूनम ने मां के पैर छुए और आफिस रवाना हो गई | पूनम को आफिस से बहुत कम तनखाह मिलती थी| उसी से अपने छोटे भाई, बहन, दादी और मां का खर्च उठाती थी |एक एक्सीडेंट मे पूनम के पापा की जान चली गई थी |जब से पूनम ही अपना घर चलाती थी |इसी वजह से उसने अभी तक शादी नही की थी |उसकी माँ और दादी ने शादी के लिए कहीं बार दबाब डाला उस पर, उसके लिए कहीं अच्छे घरो के रिश्ते भी आए , लेकिन उसने हामी नही भरी, उसे डर था कि अगर वो अपना घर बसा लेगी , तो उसके पूरे घर का ध्यान कौन रखेगा, पूनम देखने मे सुंदर ,सभ्य ,समझदार और शान्त लड़की थी , हर लड़की की तरह उसने भी अपनी शादी और जीवनसाथी के सपने सजायें थे |

, लेकिन उस हादसे ने पूनम को एकदम तोड़दिया था | अब उसके दिल में ऩ कोई उम्मीद थी और न ही आँखों में कोई सपने| वह तो जीना भी नहीं चाहती थीं, मगर अपने परिवार के लिए जी रहीं थी| वह खुद को काम में वयस्त रखती थीं, ताकि उसे पुराना बीता कल याद न आये | उसके पापा को गुजरे पूरे दो वर्ष हो गये थे |वह अपने पापा की बहुत लाडली थी | वो बरगद का पेड़ , जिसे वह हर सुबह उठकर सबसे पहले देखती थी | उस पेड़ से उसके पापा की बहुत सारी यादें जुड़ी थी | 

वो अक्सर अपने पापा के साथ वहीं पेड़ के नीचे घण्टों बैठती थी |  उसके पापा सुबह सबसे पहले उठकर उसके साथ वहीं जाते थे | वह इन मीठी यादों को अपने दिल में सहेज कर रखे थी | अकेले में बैठकर अक्सर अपने पापा को याद करती थी | एक दिन पूनम की दादी उसके पास आकर बोलती है ,"आज तुझे लड़के वाले देखने आ रहे हैं |बड़े और अच्छे घर का रिश्ता है - न मत करना |" पूनम एकदम चौककर कुछ सोचने लगी | फिर अपने मन में कुछ बडबडाना और मां के कमरे में चली गई |वहां उसने देखा कि पडोस वाली रामा काकी मां से कह रही थी - बिटिया का बियाह करदो , लोग पता नही कैसी कैसी बाते करते हैं ,जवान बेटी घर पर बैठी अच्छी थोड़े ही लगती| ऐसी बाते सपन सुन कर ही मां और दादी ने मन बना लिया था , कि अब पूनम की शादी करवानी ही हैं | यह सब सुनकर पूनम की आँखों में आंसू आ गए | उन्हें पोंछकर वह अपने कमरे में चली गई और कुछ सोचने लगी |उसे दो साल पहले की बात याद आ गई , जब उसके पापा ने उसका रिश्ता एक पुलिस अधिकारी से तय किया था, बड़े घर का रिश्ता था | सगाई हो चुकी थी | शादी के तीन दिन ही बचे थे जोर-शोर से शादी की तैयारियां चल रही थी |सब बहुत खुश थे |पूनम भी बहुत खुश थी | तभी अचानक सबकी खुशियां मातम में बदल गई | एक अमीरजादे ने पूनम के पापा को अपने कार तले कुचल दिया था | दुनिया वालो के लिए ये महज एक हादसा था पर इसके पीछे का सच पूनम ही जानती थी | पूनम ने अपने पापा को ऩयाय दिलाने की बहुत कोशिश की पर वह नकमयाब रही | वो पुलिस अधिकारी जिससे पूनम की शादी होने वाली थीं, उसने भी मदद के लिए मना कर दिया | इस कारण पूनम ने उससे शादी तोड़ दी थी |

पूनम मां के कमरे में जाती हैं , मां मैने आपको कितनी बार कहां कि मुझे शादी नही करनी | हां बेटी....  जानती हूं पर हम तुझे जिंदगी भर तो नही रख सकते न? अपने पास पराया धन हैं विदा तो करना ही होगा | फिर इतने अच्छे घर का रिश्ता खुद चल कर आया है हमारे पास| मना भी नही कर सकते | पर मेरे बाद आपका और परिवार का खयाल कौन रखेगा मां? कौन मुन्ना और गुड़िया की पढाई का खर्च उठायेगा मां? कौन दादी की दवाई करवाएगा? आपको तो पापा की पेंशन बहुत ही कम मिलती हैं |उससे आप क्या क्या कर लेंगी?"तू चिंता मत कर सब हो जाएगा| और मैने सुना हैं कि लड़का बहुत इमानदार और समझदार आदमी हैं|उसने खुद मुझसे कहा है कि हम सबका खर्च उठायेगा शादी के बाद |अब तूं बस जल्दी से तैयार हो जा|"यह कहकर मां वहां से चली गई | पूनम ने सोचा -दुनिया मे ऐसा देवता कौन हो सकता है|? जो मुझसे शादी करके मेरे घर वालों का खर्च उठाना चाहता है |?खैर तैयार हो जाऊ! 

वरना मां फिर से चिल्लाएगी 

"घड़ी मे पांच बज गए थे , घर मे सब तैयारियां हो चुकी थीं। बढिय़ा नाशता मँगवाया गया था।"

गाड़ी का हार्न बजा ।दादी चिल्लाई- पूनम की मां............ वो लोग आ गए । दादी और मां ने उनका स्वागत किया।बडे सम्मान के साथ उन्हें सोफे पर बैठाया गया। लड़के की मां ने दादी से कहा --- पूनम बेटी को बुलाइए। हम भी जरा उसकी एक झलक देख ले, जिस पर हमारा बेटा नीरज इतना मोहित हैं। नीरज और कोई नहीं बल्कि,उसी आफिस का मैनेजर था,जहां पूनम काम करती थी।वो पूनम की सुन्दरताऔर शांत स्वभाव सेउस पर बहुत पहले से मोहित था।नीरज एक पैसे वाला आदमी जरूर था,पर वो दिल का साफ-सुथरा और इमानदार आदमी था।

पूनम को नीचे लाया गया, हल्की नीली साडी मे पूनम अप्सरा-सी लग रही थीं। नीरज की मां को पूनम पहली ही नजर मे पसंद आ गई।पूनम ने जब नीरज को देखा,तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि उसकी शादी उसके मैनेजर से तय हो रही हैं। लड़के वालों की तरफ से रिश्ता पक्का था,उन्होंने तो पूनम की गोद भी भर दी थी,। फिर बहुत धूमधाम से पूनम की शादी की गई।सारे रिश्तेदार आए बस अगर किसी की कमी थी तो .वो पूनम के पापा की ।पूनम को सबने खुशी खुशी विदा किया ।वह अपने ससुराल में खुश थी । वहां उसे सब बहुत प्यार करते थे।उसका पति उसे अपनी पलकों पर रखता ।कभी उसकी आँखों में आसूं नहीं आने देता।

उसकी सास उसे मां की तरह प्यार करती।उसकी दो छोटी ननदे प्यार से भाभी-भाभी करती रहती।उसे बहनों जैसा प्यार करतीं।पूनम धीरे धीरे अपना बीता हुआ कल भूलने लगी, लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआकि उसने वापिस खुद कोअपने दुखदायी अतीत मे खडा पाया।उस दिन वह बाहर बगीचे में घूम रही थीं कि अचानक उसके पति नीरज अपनी गाड़ी में किसी को लेकर आए।पूनम ने उसे बडे गौर से देखा और उसकी आँखों के सामने पुरानी सारी बातें घूमने लगीं...........। आज उसके पति जिसको साथ लेकर आए थे,वो और कोई नहीं,वहीं इंसान था जिसनें शराब के नशे में उसके पापा को गाड़ी से कुचला था।उसे देखते ही पूनम की आखों में खून खौलने लगा।पर अपने पति के कारण वह चुप रहीं।नीरज ने कहा--पूनम देखो तुमसे मिलने कौन आया है।मेरा छोटा भाई पंकज।दो दिन पहले ही अमेरिका से लौटा हैं।आज इतने दिनों के बाद मिल रहे हैं।मन करता है कि अब कभी जुदा न हो!पूनम ने जबाब मे पूछा-पर आप तो कह रहे थे कि आपका कोई भाई नहीं।फिर ये कैसे?'अरे हां ये मेरा सगा भाई नहीं है,पर सगे से भी बढकर हैं।मेरे चाचा का लड़का हैं।पर हमें देख कर कोई ये नहीं कह सकता कि हम सगे भाई नहीं है।' नीरज सच में अपने छोटे भाई पंकज पर जान छिड़कता था।पूनम ने पंकज को नमस्ते की और अपने कमरे में चली गई।

उस दिन से पूनम बहुत परेशान रहने लगीं । वो ना तो किसी से कुछ पूछतीं ना किसी से कुछ कहती बस अपने आप मे रोती रहतीं । पूनम को ऐसे देखकर सब परेशान हो जाएं । सबने लाखों कोशिश की पूनम को खुश करने की उसें खुश रखने की लेकिन पूनम के चेहरे पर मुस्कान नहीं आई ।  नीरज भी पूनम की हालत देखकर बहुत दुखी था । एक दिन पूनम अपने कमरें मे बैठीं थीं तभी किसी ने पीछे से आकर उसकी आखें मूंद ली । ये देखकर पूनम चौक गई और हल्की ऊंची आवाज में बोली -" कौन है ?"

नीरज ने सामने से कहां -" पहचानों " । तो पूनम मुस्कुरा कर बोली -" अच्छा तो आप हो ?"

" क्योंकि तुम्हें क्या लगा था कौन होंगा ?"

" कोई नहीं " । कहकर पूनम हल्की सी मुस्करा दी तो नीरज ने पूनम के हाथ में वो पैकिंग वाली गिफ्ट दी । और पूनम को देखकर बोला -" देखों इसमें क्या है ?" पूनम नै प्यार से वह गिफ्ट्स खोली तो उसमें किताब थी । ये वही किताब थी जिसें पूनम अबहुत दिनों से खरीदना चाह रही थी । किताब देखकर भी पूनम के चेहरे पर मुस्कान नहीं आई तो नीरज ने पूनम से कहा -" क्या बात है बताओ ? "

" कुछ भी तो नहीं " । पूनम नहीं घबराते घबराते जवाब दिया और अपनी आंखों फेर लीं -" तुम्हें मेरी कसम हैं । बताओ क्या बात है कुछ दिनों से देख रहा हूं तुम बहुत परेशान रहती हो । ना किसी से बात करती हो , ना कुछ कहती हो टाइम से खाना पीना भी नहीं खाती । कोई बात हो तो बताओ ना " । " नीरज जिस इंसान ने मेरे पापा का मर्डर किया था कोई और नहीं तुम्हारे भाई पंकज ही हैं" । पूनम ने रोकर जवाब दिया । ये सुनकर तो मानों नीरज के पैरों तले जमीन खिसक गयीं । लेकिन वह पूनम को शक नहीं कर सकता था।

" मतलब कहना क्या चाह रहीं हो तुम ?"

" जिस इंसान ने मेरे पापा को अपनी गाड़ी के तले दबोचा था और कुचला था । वह और कोई नहीं तुम्हारा भाई पंकज है " ।

" तुम सच कह रही हो ना ?"

" तुम्हें मुझ पर शक है तो कोई बात नहीं " ।  

" नहीं पूनम , मुझे तुम पर कभी कुछ शक नहीं था ना हो सकता है । मैं इसलिए पूछ रहा हूं क्योंकि मैं पंकज को बहुत अच्छी तरह जानता हूं । फिर भी अगर उसने ऐसा किया है तो मैं तुमसे वादा करता हूं । मैं उसें सजा दिलवा कर रहूंगा " । इतना कहकर नीरज गुस्से मे कमरें से बाहर चला गया । पंकज कमरे के बाहर खड़ा सारी बातें सुन रहा था । नीरज के जाते ही वह कमरे में आया और पूनम को देखकर बोला -" भाभी " । पंकज की आवाज सुनकर ही पूनम ने अपने मुंह फेर लिया ।

" मैं जानता हूं अभी आप मुझसे गुस्सा हो और हो भी क्यों नहीं ? मैने काम ही ऐसा किया है । मैं यहाँ आपसे कोई हमदर्दी या मांफी मांगने नहीं आया हूँ । मुझे अपनी गलती का पूरा पूरा एहसास है और मैं उसकी सजा काटने तैयार बस आपसे एक विनती है मेरे जाने के बाद मेरी मां का ध्यान रखना । पापा के जाने के बाद उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी मुझ पर निछावर कर दी । मैं अब उनके साथ तो नहीं रह सकता पर आपसे रिक्वेस्ट कर सकता हूँ " । पंकज ने शादी नहीं की थी उसकी बूढ़ी मां उनके साथ ही रहतीं थीं । नीरज आपने  दिल पर पत्थर रखकर एक बड़े वकील से मिलकर इस केस को अदालत तक ले गया । इससे पहले कि केस अदालत तक पहुंचता और जज कोई फैसला सुनाता ।  पूनम थोड़ा परेशान रहने लगीं । घर में सब के चेहरे मायूसी से उतर गए थे । सब के चेहरे पर एक अलग ही थी मायूसी थीं । पूनम के प्रति सबका बिहेवियर बदल गया था । ये सब देखकर पूनम बहुत गहरी सोच में डूब गई । तभी उसें अपने पापा की कहीं एक बात आई । उसके पापा ने कहा था की किसी को ऐसे सजा दो कि उसे अपनी गलती का एहसास हो जाए । किसी को रुला कर या उसके किसी अपने को रुला कर उसे सजा देना तो बेकार है । बस तभी पूनम को बहुत कुछ समझ आ गया । दूसरे दिन घर में हॉल में सभी बैठे हुए थे . इससे पहले की अदालत अपना फैसला सुनाती । पूनम ने अपना फैसला सुना दिया -" मुझे आपसे कुछ कहना है " । पूनम अपनी जगह से उठकर बोली ।

" हां बोलो ना " । नीरज ने जवाब दिया तो पूनम बोली -"पंकज मेरे पापा का अपराधी हैं । उसने मेरे पापा के साथ बहुत गलत किया । पर मेरे पापा ये कभी नहीं चाहते थे कि उनकी वजह से कभी किसी को कोई भी नुकसान पहुंचे । वो आज जहाँ कहीं भी होंगे मेरे फैसले से जरूर खुश होंगे । मैं पंकज को सजा दिलवा कर उसे जेल भिजवा दूंगी तो फिर उसकी मां का क्या हाल होगा ? वह भी तड़प तड़प कर मर जाएंगी । तो फिर मुझ में और पंकज में क्या फर्क रह जाएगा । इसलिए मैं ये केस वापस ले रही हूं . नीरज आप कल जाकर इस केस की सारी फाइल बंद करवा दीजिएगा । मैंने पंकज को माफ किया क्योंकि मेरे पापा यही चाहते हैं " । पूनम ने कहा तो पूनम की बात सुनकर वहाँ मौजूद हर एक इंसान रोने लगा । सबकी आंखों में आंसू आ गए । नीरज अपने आसूं पोंछकर बोला -" पूनम मान गए तुम्हें " । पंकज ने भी प्यार से पूनम के पैर छुए तो पूनम ने उसे आशीर्वाद देते हुए कहा -" देवर जी , उम्मीद करती हूँ कि आगे से कभी ऐसी कोई गलती नहीं होगी "।

" हां भाभी , आपके सच्चे न्याय ने मुझे एक सच्ची राह दिखा दी । मैं ये गलती कभी नहीं दोहराऊंगा । कभी भी नहीं " । पंकज की बात सुन कर मुस्कुरा सबके लिए यहीं था

सच्चा न्याय 



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Pragati gupta

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