डर कैसा आप तो हैं" ।उस औरत ने राज का हाथ पकड़ते हुए कहा।
"अरे ! ये क्या कर रही हैं आप "।
"क्यों किसी मर्द का हाथ पकड़ना गुनाह है क्या?"
"नहीं मेरा मतलब ये नहीं था।"।
"तो क्या था आपका मतलब"।उस औरत ने मचलती हुई आवाज मे कहा ।
"अरे देखिए न मैं आपका नाम पूछना ही भूल गया"' क्या नाम हैं आपका?'
" झिमलिया " लोग मुझे प्यार से झिल्ली बुलाते हैं ।
ये नाम सुनकर तो जैसे राज को झटका लगता हैं ,वो औरत का हाथ छोडकर ऐसे दौड़ता है जैसे किसी ने उसके पीछे बम छोड़ दिया हो । करीब 40,45 मिनट दौडने के बाद उसे एहसास होता है कि जैसे अब वो बहुत दूर आ गया हो और आखों पर पड़ती हल्की की रोशनी उसे सुबह होने का एहसास करा रही थी ।
राज वहां से शहर के लिए ऑटो पकड़ता है और अपने कमरे की ओर निकल जाता हैं। करीब 25 मिनट बाद वो अपने घर पहुंच जाता है । पर आज मन बहुत उदास था बार बार उस औरत की तस्वीर राज की आखों के सामने घूम रही थीं । वो जाकर बेड पर ऐसे गिर जाता हैं मानों चार रातों से न सोया हो और लेटते ही उसकी नींद लग जाती हैं। पर सपनों में तो अब केवल झिल्ली दिख रही थी। कि जबहिं …………..
"जितना भुलाओंगें उतना याद आएगें, हम तेरी महकती परछाईयों मे " राज के फोन की कॉलर टूयन बजतीहैं।
'अरे यार!इतनी सुबह सुबह कौन परेशान कर रहा है चैन से सोने भी नही देते … ओ तेरी कमीशनर सर की 5 मिसकॉल अब तो मरा बेटा तूं ..।
" हैलो सर "…….
"इस दिस राज स्पीकिंग "
"यस सर"
"कम एठ 12 pm इन माई केविन "
"ओके श्योर सर "
" ये सर भी न चैन नहीं लेने देते " । राज गुस्से मे बड़बडाता है और जल्दी से तैयारी होकर पुलिस स्टेशन के लिए निकल जाता है ।
कमीशनर के केविन पहुंचकर
"मे आई कम इन सर "
"यस कम इन "
" गुड आफटरनून सर "
"गुड आफटरनून राज , तुम्हें जिस काम के लिए कोछा भेजा गया था ।तुमनें उसे कम्पलीट किया या नहीं ?"
"सर . …।वो …। "
"साफ साफ कहो क्या कहना चाहते हो तुम राज "।
"सर , गांव वालों का कहना है कि ये काम किसी डायन का हैं "।
"व्हाट्स नोनसेंस ,आर यू मैड । हाऊ केन यू विलिफ ओन डिस ऑल सिली टिंथ "।
"सर ,,पर मैंने खुद "..।
"देखो राज मुझे ये फालतू बहाने नहीं सुनने तुम्हारे "। मुझे जल्द से जल्द कातिल चाहिए तुम्हें पता है न कि जिसका खून हुआ है ,वो हमारे विधायक का बेटा है "।
"जी सर"।
"तो जाओ कातिल को पकड़ो "
"वट सर……."
"इट्स माई ऑडर"
"ओके सर "
"ये सर भी न पक्का मरवाने फिर रहे हैं मुझे "।
राज वापिस कोछा के लिए निकल जाता है और वहां पहुंच कर कातिल को पकडऩे की कोशिश में लग जाता हैं पर वो जितना केस को सुलझाने में लगता है ।केस उतना उलझता जाता हैं …।
राज हार मानकर वापिस लौटने लगता है कि जबहिं उसकी नजर एक झोपड़ी में पड़ती हैं ।
"ये झोपड़ी तो वहीं है जहां विधायक के बेटे की लाश मिली थी "। चलो जाकर देखता हूँ शायद कोई सबूत मिल जाए ।
अंदर जाकर उसे कपडों के टुकडे और एक लाल रंग की चुन्नी मिलतीं हैं।
"ये चुन्नी तो देखी हुई लग रही हैं " ओ तेरी …… ये तो वहीं चुन्नी जो कल रात झिमलिया ओढ़े थी ।मललब सच में वो ………। सोचते हुए राज के रोंगटे खड़े हो जातें हैं।
" राज जबहिं वहां से भागने की कोशिश करता हैं कि झोपड़ी के किवाड़ अपने आप अंदर से बंद हो जाते हैं "।
।
"हां ,हां ,,, तुझे क्या लगा मैं तुझे छोड़ दूंगी । " चारों तरफ आवाज गूंजने लगतीं हैं।
कौन थी ये आवाज ? क्या फिर झिल्ली डायन ने किया था अपने कब्जे में ?
जानने के लिए पढ़ें कहानी का अगला भाग.।
pragati gupta
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Good going
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