पर क्या "?
"मैं तुम्हें उसके बारे मे बता तो दूंगी ,लेकिन तुम्हें उसे मुक्ति दिलानी पड़ेगी और डायन को मुक्ति दिलाने का मतलब तुम जानतें हो अपनी जान दाव फर लगाना ।"
"पर मैं ही क्यों "
"क्योंकि तुम पहले इंसान हो जो उस डायन के चंगुल से बचकर वापिस आए हो ,वरना आज तक कोई भी उसके हाथों जिंदा नहीं बचा"।
" क्या "पर हैं कौन ये "।
"मैंने कहा न कि बताऊगी, पर तुम पहले वादा करो कि तुम उसे मुक्ति दिलाओगे "।
"मैं ऐसा नहीं कर पाऊंगा ,मुझे इन भूत-प्रेतों से बहुत डर लगता है"।
"बेटा!डर के आगे ही जीत हैं ,और वैसे भी उसका राज जानने के बाद वो तुम्हें जिंदा नहीं छोड़ेगी"।
"ठीक है! मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगा ,अब मरना ही हैं तो कुछ अच्छे कर्म करके ही मरुं तो पुण्य मिलेगा"।
"तो सुनो! 15 साल पहले यहां एक सरदेसाई नाम का आदमी रहता था जो कि धन-दौलत मे काफी सम्पन्न था ।उसकी इकलौती बेटी थी झिलमिल जो देखने में बेहद खूबसूरत थी ।सरदेसाई अपनी बेटी के विवाह को लेके काफी चिंतित थे ,वो उसके लिए सुदंर-सुशील और धनवान लड़का चाहते थे और वो मिला भी । सरदेसाई ने खूब धूम धाम से अपनी बेटी झिलमिल की शादी लखन से की पर कहते हैं न हर इंसान को हर खुशी नहीं मिलतीं ।लखन सुंदर सुशील और धनवान तो था पर वो झिलमिल से प्यार नहीं करता था यहा तक शादी को एक साल हो चला था पर लखन ने अब तक झिलमिल को हाथ तक नहीं लगाया था ।झिलमिल पागल सी होने लगी थी उसे अपनी खूबसूरती फीकी लगने लगीं थी उसकी हालत दिन फर दिन बिगड़ती जा रही थी ,वो खूब कोशिश करती अपने पति को खुश करने की उसके लिए स्वादिष्ट भोजन बनाती, तोहफे लाती ,सजतीं -सवंरती पर लखन उसे आंख भर भी नही देखता , उन्हीं दिनों गांव मे वर्षीय यज्ञ के लिए बाबा कंडोलिया पधारे थे , वो थे तो बाबा पर उम्र उनकी भी हंसने खेलने की थी ,ऐसा माना जाता था कि उन्हें कुछ सिद्दियां प्राप्त है ,बहुत जाने-माने बाबा थे वो । यज्ञ के दिनों झिलमिल भी मंदिर जाया करतीं थीं ।एक दिन झिलमिल ने बाबाबा कंडोलिया को देखा और उन पर मोहित हो गई । झिलमिल ने बाबा को प्राप्त करने के कई रास्ते अपनाए पर विफल रही ।बाबा कंडोलिया ने अपनी इंद्रियों पर विजय पा रखतीं थी ,उन पर कोई असर नहीं हुआ ,एक दिन यज्ञ की पूर्णाहुति के समय झिलमिल ने आके बाबा के हाथों के जान बुझकर स्पर्श कर लिया ,जिससे बाबा बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने झिलमिल को श्राप दे दी कि वो.मरने के बाद डायन बनेंगी और अपनी हवस के लिए लोंगों का शिकार करेंगी ।ये सुनकर झिलमिल चकरा गई ,वो रोने लगीं उसने बहुत मांफी मांगी पर दी हुई श्राप तो वापिस ली नहीं जाती ,बाबा कंडोलिया को झिलमिल पर दया आ गई तो उन्होंने उस श्राप को कम करने के लिए वरदान दिया कि जो इंसान तेरी नीयत के बचकर मेरे पास मेरी मंदिर मे श्रापमुक्ति जल लेने आएगा वहीं तुझे मुक्ति दिलाएगा"।
"अच्छा तो ऐसी बात हैं " । बताईए मुझे क्या करना है ।
"तुम्हें इस गांव से 1500 की.मी. दूरी पर उत्तर की दिशा में जाना होगा वहां तुम्हें एक गांव जिसका नाम खंडोलनगर है मिलेगा उस गांव मे नीलापर्वत है उस पर एक दिन मे सूरज डूबने से पहले चढाई करनी पड़ेगी ,चढ़ाई के बाद तुम्हें वहां से बहती हुई एक धारा दिखेंगी ,तुम्हें उस धारा में अपना शीश झुकाकर 'बाबा कंडोलिया' का नाम लेना है ,वो धारा तुम्हें अपनी गोद मे बैठाकर बाबा कंडोलिया के मंदिर ले जाएगी । उसके बाद तुम्हें उस मंदिर मे स्नान करके दो दिन तक बाबा कंडोलिया के नाम का जाप करना है ।अगर तुमनें सच्चे दिल और लगन से पाठ किया तो बाबा तुम्हें दर्शन देकर उस डायन को मुक्ति दिलाने कि मार्ग बताएंगे ।
" तो क्या राज कर पाएगा ये काम , दिला पाएगा झिल्ली डायन को मुक्ति ?"पढ़िये अगले भाग में।
Pragati gupta
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
अरे वाह! उत्सुकता कायम रखते हुए अगले भाग को पढ़ने के लिए मजबूर कर दिया आपने इंतजार रहेगा बहुत ही बेहतरीन स्टोरी
Shukriya
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