" बेटी , अब पराये घर जा रही हैं तो ये मां , मां करना छोड़ दे और मांजी बोलने की आदत डाल लें " । अम्बिका की बुआ अम्बिका के कानों मे होले से फुसफुसाई तो अम्बिका ने बस मुस्करा दिया । अगले दिन अम्बिका की शादी एक पढ़े लिखे अफसर पंकज से हो गई । अम्बिका पढ़ी लिखीं लड़की थी और शादी से पहले अम्बिका के घर वालों ने उसके सास ससुर से बात कर लीं थी कि अम्बिका शादी के बाद भी जॉब करेगी और उसके ससुराल वालों ने इस बात पर हामी भी भरीं थीं । पर यहाँ आकर तो माहौल कुछ अलग ही था शुरू शुरू मे तो सब सही रहा । सबने अम्बिका को प्यार और सम्मान दिया पर जैसे जैसे समय आगे बढ़ता गया तो उसकी इज्जत एक बहु से हटकर एक नौकरानी की बन गई । शाम को ऑफिस से आकर सबको चाय देना फिर डिनर बनाना और फिर रात के बर्तन साफ करना । यही जिंदगी बची थी अब उसकी । कही बार वो चिढ़चिढ़ा कर रह जातीं तो कहीं बार अपनी मम्मी से रो रोकर अपना हाल बयां करती पर उसकी मम्मी ये कहकर उसे दिलासा दे देती कि शूरू शुरू मे ऐसा होता हैं पर धीरे धीरे सब ठीक हो जाएंगा । अम्बिका भी अपनी मम्मी की बात सुनकर चुप थह जाती और खुद को समझा लेतीं । पर एक दिन वो ऑफिस से लौटकर आई तो उसकी तबियत बहुत खराब हो गई उसका सर एकदम चकरा रहा था । वो ऑफिस से लौटकर अपने कमरे मे आराम करने लगी तो उसकी सास ने उसे आवाज़ लगाते हुए कहा - " बहु, चाय नहीं देगीं क्या ? "
अम्बिका ने अपनी सास की बात सुनकर पास बैठे अपने पति पंकज से कहा - " आप , मम्मी जी से कह दीजिए की मेरी तबीयत ठीक नहीं है । वो चाय आज खुद बना लें " । पंकज अम्बिका की बात सुनकर अपनी मम्मी के पास जाकर बोला - " मम्मी , अम्बिका की तबियत आज ठीक नहीं तो आप खुद चाय बना लीजिए " । अपने बेटे के मुंह से ये बात सुनकर अम्बिका की सास चिढ़चिढ़ा कर बोली - " ये आजकल की बहुएं भी न , जरा सा काम क्या कर ले ऐसे नाटक करतीं हैं जैसे पहाड़ तोड़ लिया हो । इन्हें तो बस बहाना चाहिए काम न करने का " । पंकज अपनी मम्मी की बात सुनकर चुप रहा तो अम्बिका से ये सहन नहीं हुआ । वो अपने बेड से उठकर आई और सासू मां के लिए चाय बनाकर उनके लिए चाय लेते हुए उनके पास आकर बोलीं - " मम्मी जी , ये रहीं चाय और हां मम्मी आज इतने दिनों मे पहली बार ऐसा हुआ जब मैंने आपको चाय नहीं बनाकर दी वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि मेरी तबियत ठीक नहीं थी । बचपन से हमें यहीं सिखाया जाता हैं कि सास और मां मे कोई फर्क नहीं होता । सास भी मां की तरह होतीं हैं पर यहां आकर पता चला कि सास और मां मे बहुत फर्क होता हैं । हर सास चाहती हैं कि उसकी बहु उसे मां का दर्जा दे पर सास क्यों बहु को बेटी का दर्जा नहीं देती अगर आज दीदी की तबीयत खराब होतीं तो क्या आप उनसे भी यहीं कहतीं ? " अम्बिका की बात सुनकर उसकी सास को अपनी गलती का एहसास हो गया वो प्यार से अम्बिका के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली - " बेटा, मुझे मांफ करदें । मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है अब से तू भी मेरी बेटी बनकर रहेगी " । अम्बिका अपनी सास मे अपनी मां पाकर बहुत खुश हो गई ।
अगर हम मनमुटाव दूरकर अपनी बात खुलकर किसी के सामने रखेगें त़ो वो जरूर आपकी बात समझेगा । सास भी एक मां होतीं हैं बस जरूरत होतीं हैं तो उसे तरासने की ।
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