ऐसा नहीं हैं कि प्यार नहीं हैं हमें
पर वो इजहार करने वाला ऐतबार नहीं हैं हमें
लो मान चले कि बेताब नहीं हम
पर तेरे आवरू मे बेहिसाब हो गए हैं हम
इश्क़ हैं तो गिला भी हैं
शिकवा हैं तो शिकायत भी हैं
हां तेरे एहसास मे हम महताब भी हैं
हसीं मे छुपे गम भी नासर हैं
तेरे प्यार मे हक्ष रहमान हैं
ले चल उस जहां जहाँ हमारे इश्क़ पर न हो सजा
डूब चले चल उस नदियां जहां हो न किनारे का पता
उड़े चले चल उस बगिया जहां फूलों मे बैंठे हो भौंरा
मिले जब भी मिलन की बेला
चेहरे पर शिकन न हो , न हो दिलों मे गमों का मेला
वक्त के साथ ले बदल खुद को हम
कुछ ऐसे बेहिसाब हिसाब मे हैं हम
न मिलन का पता न हो होठों पर गिला
छाई हैं हम पर ऐसी मिलन की घटा
हो चले हम फिदा सनम तुझ पर फिदा…।
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