सनम ओ सनम

मिलन की पीर

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Pragati gupta
Pragati gupta 24 Feb, 2020 | 0 mins read

ऐसा नहीं हैं कि प्यार नहीं हैं हमें

पर वो इजहार करने वाला ऐतबार नहीं हैं हमें

लो मान चले कि बेताब नहीं हम

पर तेरे आवरू मे बेहिसाब हो गए हैं हम

इश्क़ हैं तो गिला भी हैं

शिकवा हैं तो शिकायत भी हैं

हां तेरे एहसास मे हम महताब भी हैं

हसीं मे छुपे गम भी नासर हैं

तेरे प्यार मे हक्ष रहमान हैं

ले चल उस जहां जहाँ हमारे इश्क़ पर न हो सजा

डूब चले चल उस नदियां जहां हो न किनारे का पता

उड़े चले चल उस बगिया जहां फूलों मे बैंठे हो भौंरा

मिले जब भी मिलन की बेला

चेहरे पर शिकन न हो , न हो दिलों मे गमों का मेला

वक्त के साथ ले बदल खुद को हम

कुछ ऐसे बेहिसाब हिसाब मे हैं हम

न मिलन का पता न हो होठों पर गिला

छाई हैं हम पर ऐसी मिलन की घटा

हो चले हम फिदा सनम तुझ पर फिदा…।

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