सजदा तेरा

इश्क का सजदा

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Pragati gupta
Pragati gupta 19 Feb, 2020 | 0 mins read

प्यार की राह मे मिला कोई हमसमर हैं

न जानें कैसा ?कैसा वो हमरहम हैं?

आखों मे आखें डाल कर

किया जिसने इजहार था

वो आज मुहब्बत का पहमान हैं

नजरों मे गुमान जिसके

आखों मे मेहमान हैं

मेरी मुहब्बत ही तो मेरी पहचान है ।

सजदा जिसका मैं हजार दफा किया

उसकी ख्वाहिश मेरा दीदार हैं

मैं न हारी इश्क की बाजी

जीती तो हर बार मेरी सासें हैं

लिखा था जिसके दिल पर नाम अपना

उसकी हिफाजत अब मेरा रूमानीयत हैं

फ्रिक जिसकी हर दफा

दूरियां जिससे हैं सजा

ऐसा महबूब मेरा

कैसा है ये इश़्क तेरा?

ले हार गई मैं तेरे नाम पर

अब बता जरा मुझे गुनाह मेरा

तूं जीता न ये फक्र नहीं

मैं हारूँ ये लफ्ज़ नहीं

जीता दे मुझे एक दफा

ये इश़्क की बाजी

ए मेरे हमनवां

तुझपे कुर्बान ये जिस्मों जान

तू सासें मेरी तू रूहानियां

सजदा तेरा ए मेरे खुदा

हजारों दफा ,हजारों दफा

इश्क़ पर मिटें मेरा जहान

तू ही शख्सियत तू ही जान

रहमत हैं तू ,तू ही पनाह

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Pragati gupta

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