वो मुझे मेरी गलतियां सुनाता रहा और मैं उसे अपना बनाता रहा
कुछ ऐसा था इश्क हमारा मैं उसकी ओर जाता रहा
और वो मुझसे दूर जाता रहा..।
मिले न नैनों के तार नसीब हमें आजमाता रहा
मैं रूठा हुआ वो चेहरा मनाता रहा और वो मेरी शख्सियत गवांता रहा
किस्मथ ने खेला खेल ऐसा जुदाईयोँ मे वो हमें रूलाता रहा
मैं खींचा उसकी ओर जाता रहा और वो मुझे भूलाता गया।
आई अब तनहाई की घड़ी हम दो दो आंसू रो पडे लगे गले से जब उसके वो आंसू पोछने के बहाने हमारी नजरों मे खुदको उठाता रहा
मैं उसका हो चला और वो मुझसे दूर जाता रहा
साजिशों के पुल मे धकेले गए हम ।विराह की नदीं मे डूब चले हम
दिखा किनारा तो वो हमें सहलाता रहा मैं उसे बचाता रहा और वो मुझे डूबाता रहा ।
होश मे होकर भी मैं अपने होश मे नहीं ऐसी मुहब्बत थी मेरी कि वो मुझे अपने दिल से निकालता रहा और मैं उसे अपने दिल मे बसाता रहा ।
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