मेरी आईडेंटिटी, मेरी पहचान
हर इंसान की अपनी एक पहचान होतीं हैं और वहीं पहचान उसकी वास्तविकता भी ..
वैसे अगर खुद के बारे मे मैं लिखने बैठूं तो शायद ये दिन खत्म हो जाए पर कहानी खत्म न हो ।मैं जब 9th स्टैंडर्ड मे थी तो उस समय मेरे पापा ने मुझे मेरे जन्मदिन पर एक डायरी गिफ्ट की थी ।पर उस पता न था कि ये डायरी मेरी जिंदगी बन जाएगी ।लिखने का जुनून मुझे उसी वक्त सवार हुआ जब मेरे हाथों मे डायरी आई हर दिन एक कविता लिखना जैसे मेरा शौक बन गया और जब घर वाले वो कविता पढ़कर तारीफ करते तो सचमुच बहुत खुशी होती थी ।दो साल ऐसे ही चला फिर तीन साल के लिए मैं पढ़ाई मे इतनी व्यस्त हो गई कि डायरी और कविताओं से नाता टूट गया लेकिन व़ो डायरी मेरे साथ हमेशा होतीं थीं । पर एक दिन यू ही शाम का समय था और मई का महीना उस रात बहुत बारिश हो रही थी उस दिन बारिश का आलम देखकर मन अपने आप बहकने लगा और गुनगुनाने लगा कुछ शायरियां फिर उसी दिन शुरू की मैंने ये जर्नी और वादा किया खुद से कि एक लेखिक के माध्यम से ही मैं खुद की एक बहुत प्रियजनिक पहचान बनाऊंगी ।ज्यादा कुछ तो नही पर अब एक छोटी मोटी लेखिका के रूप मे जानी जाती हूँ ।कम्पाइलर के तौर पर खुद की तीन एंथोलॉजी भी निकल चुकी हैं और बहुत जल्द मेरी एक खुद की लिखी नोवेल भी पब्लिश होगीं । और ऑनलाइन भी अब काफी प्लेटफार्म मिल चुके हैं मेरी राइटिंग को उन्हीं प्लेटफॉर्म मे से एक हैं पेपरविफ जो सचमुच प्रसन्नीय और बहुत ही अच्छा प्लेटफार्म हैं ।ये लेखकों के मन के विचारों को लोंगो तक पहुंचाते हैं और इनाम देकर उनके मनोबल भी बढ़ाते हैं ।
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