मान सम्मान देश की आन ,तुझ पर कुर्बान मेरी सौ सौ जान
तेरे अस्तित्व मे समाई हमारी धरोहर तूं हमारी जिंदगी तू ही पहचान
तुझसे ही ज्योति अलौकिक संसार की ,धरती नहीं तूं सिर्फ मां है हमारी
पाया जो तुझसे पाया ,तूने हमें अपने आंचल मे समाया
तूं जीवनदायिनी हैं, तूं हंसवाहिनी हैं
तू मां हमारी रखवाली हैं ।
तेरे नादान बालक हैं हम ,तू संसारिक मालिनी हैं ।
मां …ओ धरती मां तू ममत्व दायनी हैं
तेरी गोद मे समाई नदियों हजारों
तूने है पाले जाने कितने जवानों
तेरी रक्षा की बारी अब हमारी हैं
तुझ पर कुर्बान हमारी ये जिंदगानी हैं।।
जुड़ते हैं सपने मेरे तेरी पलकों से
तोड़ दिए मैंने अब ख्वाबों के ताले
समां जाऊ मैं इस मिट्टी जिसनें मुझे जन्म दिया
दफन हो जाऊ इस धरती में जिसने ममत्व दिया ।
मैं तो बालक नादान ..तूं ही हैं मेरी माता
मुखड़ा न देखा तेरा ,फिर भी तूं लक्ष्मी लगें।
चांद सा मुखड़ा तेरा ,तुझमें दुर्गा की सूरत दिखें।
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