"अभिषेक जल्दी आओ "।
"क्या हुआ रचना तुम इतनी टेंशन में क्यों लग रही हो?"
"प्ली जल्दी आओ ना"।
" अच्छे बाबा आता हूं 2 मिनट रुको"। इतना कहकर अभिषेक रचना से मिलने उसके घर पहुंचता घर पहुंचते ही" क्या हुआ तुमने मुझे इतनी जल्दी क्यों बुलाया ?"
रचना रोते हुए उसे अपने हाथ में प्रेगनेंसी की रिपोर्ट दिखाती है ।
"क्या है ये ?"
"खुद ही देख लो प्रेग्नेंसी की रिपोर्ट पर ये कैसे हो सकता हैं ?"
" मुझे नहीं पता ही कैसे और कब हुआ पर अब मैं क्या करूं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा ?"
" तुम पागल हो गया चलो चल कर अबॉर्शन करा लेते हैं ।"
"यह क्या कह रहे हो तुम ? मैं अबॉर्शन नहीं करवाऊगीं
"तुम पागल हो गई अभी हमारे बच्चों की उम्र न कि बच्चे पालने की " "अगर तुम्हें इतना ही डर था तो ये सब किया ही क्यों ?"
मैंने क्या किया मैंने तुम्हें दवा खाने खो दी थी तुमनें दवा नहीं खाई ये तुम्हारी गलती हैं।
" मेरी गलती कैसे ।मैंने दवा खाई थीं "।
"तो फिर ये सब क्या हैं?"
"तुम ये बताओं तीम मुझसे शादी करके इस बच्चे की जिम्मेदारी लोंगे या नहीं ?"
" नहीं"।
" वाह तुम जैसे ही लोंगो की वजह से हर दिन कही गठर मे छो कही नाले मे बच्चे मिलते हैं ।अगर बच्चे पालने की औकात नहीं तै पैदा भी मत किया करो ।और हां मैं इतनी सक्षम हूँ कि अपना बच्चा पार सकूं ।चले जाओं यहां से । उस वक्त अभिषेक वहां से चला जाता है और रचना सारी दुनिया और समाज से लडकर अपने बच्चे को जन्म देती है और उसका भरण पोषण करती हैं ।
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