आजाद परिंदे की तरह उड़ चला
मैं फिर यहीं कहीं
ढूंढ लो मुझे साथियों
मैं ना गुम हो जाऊं फिर कहीं
एक आशियाने मे बसेरा हैं मेरा
जहां से गुजरता हैं रास्ता तेरा
खुशियों मे समाया इश्क मेरा
ढूंढता फिरता है अब परवान तेरा
मैं उड़ चला फिर इन हसीं वादियों
कर लो कैद मुझे जंजीरों मे
लौट न आऊंगा जो उड़ चला एक दफ़ा
मुड़ न पाऊंगा फिर बढ़ा जो कदम इस तरह
वक्त हैं तूं चली आ ,फिर गम न करना कि मैं न रहा
तेरी खुशी मेरी मौत मे हैं तो लो मैं चला
सम्भाल ले वरना आज मुझे अपने इमान की तरह
पिघल जाऊंगा वरना मैं किसी मोम की तरह
इश्क हूँ तेरा हिफाजत बना ले
वरना ये दूरियां बन न जाए मौत की वजह
समा जाऊंगा मैं तेरी बाहों मैं
जकड़ ले मुझे किसी हवा की तरह
मैं लौट न आऊंगा फिर कभी यहां
मैं न बेवफा सनम , न मैं मनचला
तेरी फिक्सिंग मे हिफाजत मेरी , लो चला मैं चला
तेरी फिक्र मे समाया इश्क़ लो चला मैं चला।।
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