आखिर कब तक हम यूं ही जलेंगे
कब तक हम यूं ही चुप रहेंगे
एक दामिनी जली थी,
एक आसिफा मरी थी
शोर - शराबा हुआ था
और कैंडिले भी जली थी
.चार दिन शोक मनाया था
फिर पाँचवें दिन सबने इन्हें भूलाया था
आज फिर एक नयी खबर मिली है
सुना है फिर कोई सांजली जली हैं
दरिंदगी ने उसकी सासें थाम दी
हैवानियत ने उसकी जीने की इच्छा मार दी
सुन लो आप सब भी
बंद कर लो अपनी बहन बेटियों को भी
क्या पता कल उनकी बारी हो
आज तुम सब चुप हो
क्या पता कल रात तुम्हारी भी काली हो
तुम सब को अपनी अपनी बहनों की चिंता है
जो जला दी गई उसकी भी एक चिता हैं
मैं पूछती हूँ कहाँ सोई पड़ी है वो सरकार
जो हर बात मे राजनीति करती हैं
उन्हें भी जरा खबर कर.दो
मर गई हैं देश की एक और बेटी
चलो अब अपनी राजनीति शुरू करो
किसकी सरकार मे वो मरी हैं
मुझे बस इतना बता दो
उन दंरिदगो की सजा कब मौत होगी
जला दी जाएगी जब देश की सारी बेटियां
जब इस देश की सोई हुई सरकार जागेगी
आखिर कब तक ?
कब सुरक्षित होगी बेटियां ।
Originally published in hi
Pragati gupta
28 Dec, 2019 | 1 min read
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