आखों.मे प्यार

मुहब्बत

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Pragati gupta
Pragati gupta 20 Feb, 2020 | 0 mins read

देखा जब उसने पहली बार

हुई नजरें छार छार

उठा आखों मे

धुआं इश्क का

मुहब्बत हुई हमें यार

टकराई आखों से आखें

धड़के दिलों के तार

मिली न जुदाई की दास्तां

हुया मेरे बाजूद का खतिमा

अब मिली हैं रूहानियत

खुद से खुदा की

इतनी पाक हैं ये मेहरवानियां

लिखे जो सच्चाई सच की

ऐसी हैं कलम मेरे प्यार की

मिट दे जो इरादे

फौलाद के जैसे हो कोई हमनवां मेरे यार की

शुरू हुई कहानी जब मेरे प्यार की

हुई जब मुलाकाते मेरे यार की

ले चला ये इश्क़ किस ओर मुझे

मैं न जानूं इसे ये न जाने मुझे

चलो चले उस ओर कई

मुहब्बत के आशियाने हो जहाँ कई

ले हाथों मे हाथ तेरा

घूमू मैं ये जहां सारा

रहमतों मे बसें इश्क़ मेरा

ख्वाहिशों मे सजे महबूब मेरा

रहे न अब इंतजार तेरा

आजा तू मेरे सनम ओ साजन मेरा

दूरियां ये सह न पाऊं

कैसे अब ये तुझे बताऊं?

कि तुझ बिन मैं जी न पाऊंं

तेरे बिन तो जैसे मैं मर ही जाऊं

तु ही बता मैं कैसे तुझे मनाऊं ?

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