If I were a doctor....यदि मै डॉक्टर होती! तो क्लीनिक में अपनी सीट के पीछे चिकित्सा क्षेत्र में आने से पहले जो शपथ दिलाई जाती है, उस शपथ पत्र को केवल फ्रेम करके नहीं टांगती, उसे अपनी रोज की प्रार्थना में शामिल करती और ईश्वर को धन्यवाद अदा करती, कि आपने इस पवित्र कार्य हेतु मुझे चुना कि, मैं उन दुखियों ,बीमारों, अपाहिजों और तकलीफ में पड़े हुए लोगों के दर्द को कम कर सकूं।
पर क्या आसान होता है डॉक्टर बनना?,नही!एक आहुति देनी होती है पूरे जीवन की।
किसी को दर्द से राहत देना ,किसी को त्वरित उपचार देकर जीवन बचाना ....क्या इससे भी पवित्र कोई काम हो सकता है? मगर सबके सपने पूरे नही होते ...है ना ! मेरे भी नहीं हुए,नहीं बन पाई डॉक्टर ..
10000 इंजिनीयर पर एक विद्यार्थी डॉक्टर बनता है । पर यदि वही डॉक्टर अपने पेशे को रुपये कमाने का साधन बना ले तब....,व्यवसायिक स्तर पर अपनी चिकित्सा को उपयोग में लाए तब !
मगर दुर्भाग्यवश 80% यही हो रहा है चिकित्सा का व्यवसायीकरण।
यदि मैं डॉक्टर होती है तो, अपने पैसे के साथ बेईमानी नहीं करती, केवल रुपया कमाने हेतु डॉक्टर नहीं बनती।
जिंदगी और मौत के बीच में पड़े हुए व्यक्ति को उपचार देना ज्यादा जरूरी है बजाय बड़ी गाड़ी और 4 बैडरूम वाले कई बंगले खरीदने के।
हो सकता है कई लोग कहे कि, जीने के लिए धन जरूरी होता है। हां ! मैं मानती हूं !मगर क्या मानवता के स्तर से गिरकर भी कमाया गया धन जरूरी होता है ?
किसी भी हॉस्पिटल में यह नियम होना चाहिए कि, पहले मरीज को भर्ती करें ,उसका उपचार करें, उसके बाद जरूरी फॉर्म भराया जाय , कोई भी f.i.r. के पचड़े में पड़े बगैर पहले घायल व्यक्ति को उपचार दिया जाए ।
तभी इस पेशे की गरिमा बची रह सकती है तभी हर आम व्यक्ति डॉक्टर को इज्जत की नजर से देख सकता है, नहीं तो उन्हें भी सरे राह लज्जित होना पड़ सकता है ।अपने किए गए गलत उपचार या गलत व्यवहार के कारण कई बार ऐसे डॉक्टरों को दंडित भी किया जाता है।
इसके अलावा यह दूसरे पहलू पर गौर किया जाए तो कोरोना संक्रमित व्यक्तियों द्वारा डॉक्टर नर्सों के साथ में हिंसा ,मारपीट किया जाना भी आज के सभ्य समाज में कलंक जैसा है ,यदि मैं डॉक्टर होती तो इन सब नियमों का पालन जरूर करती।
धन्यवाद
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
निःसंदेह प्रतियोगिता के विषय पर लिखित यह आलेख काबिलेतारीफ है।
बहुत ही अच्छा लेख👏
कुमार संदीप आपके शब्द प्राण फूंकते है
सुनीता जी धन्यवाद
जी मैम 🙏🏻🙏🏻यह स्नेहमात्र है आपका
आपकी कुछ बातों से सहमत हूँ। पर सभी से नही।
Please Login or Create a free account to comment.