हमारी बेटियां
आज बरसों बाद तीनों बहनें फिर उसी पहाड़ी के छोर पर आकर खडी़ थीं, जहाँ वे दादी माँ के
तानों से ऊबकर आ जाती थीं, ताने जो असल में माँ को दिये जाते थे, तीन तीन बेटियां पैदा करने के लिए. आज तीनों बहनें आई ए एस, पी सी एस और डाक्टर बनकर परिवार और पूरे शहर का नाम रोशन कर रहीं हैं और जो दादी बेटियों को पढा़ने के खिलाफ थीं, आज बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ के नारे लगाते नहीं थकती हैं.
Paperwiff
by namratapandey