माँ-बेटे में यही सब बातें हो रही थीं जब कमरे का पर्दा हटाकर चीकू अंदर दाखिल हुआ।
चीकू आशीष का मौसेरा भाई है। दीपा से एक साल छोटी उसकी जो बहन है-- अंतिमा, उसी का बेटा है चीकू। चीकू से तीन साल छोटी है उसकी बहन- चीनी।
चीकू आशीष के छह महीने बाद पैदा हुआ था। परंतु दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते थे और बचपन से ही साथ- साथ खेलकर बड़े भी हुए थे! अतः चीकू आशीष का भाई होने के साथ- साथ सहपाठी एवं दोस्त भी था।
अब जब, आशीष यूनान में रच- बस गया था,और अकसर सालों तक घर नहीं आ पाता था तो इस घर की सारी जिम्मेदारी चीकू ने अपने कंधे पर उठा ली थी।
अपने चारों भाई- बहनों में दीपा दूसरे नंबर पर है। सभी भाई- बहन रोहतक में ही पास-पास रहा करते हैं! एक दूसरे के नज़दीक रहने का फायदा यह होता है कि वे सभी एक -दूसरे की मुसीबत में हमेशा साथ-साथ खड़े रहा करते हैं।
एकता में बड़ी ताकत होती है।
इस समय भी जब आशीष के पापा अनिमेष को दिल का दौरा पड़ गया था तो दीपा के भाई- बहनों ने ही दौड़- भाग करके उन्हें अस्पताल में दाखिल करवाया था और फिर बारी- बारी से उनकी देखभाल भी की थी। पहले ही कहा जा चुका है कि आशीष जब काॅलेज में था तो उस पर जब मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था, ऐसे समय भी आशीष के मामाजी ने उसकी बड़ी मदद की थी।
चीकू अंदर आते ही आशीष से पूछने लगा--
" हाऊ आर यू नाउ, चैम्प?"
" अरे चीकू, तू?!!! कितने वर्षों बाद,,, !! भाई तू कैसा है?" आशीष हैरानी से चीकू को देखता हुआ बोला।
" मैं तो बिलकुल ठीक- ठाक हूँ--- पर,,तूने अपनी यह क्या हाल कर लिया, मेरे भाई?!!" चीकू ने जवाब में कहा।
"अरे, मुझे क्या हुआ है?" आशीष उससे बोला।
"तुम्ही लोगों ने, यूँ ही, मुझे जबरदस्ती बिस्तर पर लिटा कर रक्खा है! यह देखो मैं तो,, एक दम भला चंगा हूँ--।"
मुस्कुराकर यह कहता हुआ आशीष ने उठ कर बैठने की कोशिश की। पर वह उठ नहीं पाया!
एक तेज़ दर्द के कारण उसके मुँह से चीख निकल आई!
तभी उसकी नज़र अपने दाहिने कोहनी के पास लगे बड़े से प्लास्टर पर गई! साथ ही साथ कमर में भी एक भयानक दर्द की टीस सी उठी।
आशीष पलंग के किनारे पर लेटा था। अचानक उसका बैलेन्स बिगड़ गया और वह गिरने को हुआ। चीकू ने दौड़कर उसे संभाल लिया!
" धीरे भाई धीरे--- इतनी जल्दी भी क्या है? कुछ दिन आराम कर लो।"
"माँ का ऐसा प्यार तुम्हें वहाँ यूनान में कहाँ मिलता होगा, भाई?शादी भी न की,,, सो ज़ाहिर सी बात है,, कि अगर बीवी होती तो वह करती देखभाल-- तुम्हारी सेवा- सत्कार ,,, पर तुमने तो वह रास्ता भी बंद कर रखा है!"
मज़ाकीया लहज़े में चीकू की कही हुई बातें सुनकर आशीष मुस्करा दिया।
हाल ही में चीकू की शादी हुई थी। इसलिए उसका ओहदा अब आशीष से ज़रा ऊँचा हो गया था-- क्योंकि अब वह किसी का पति था! अतः चीकू को जब भी मौका मिलता,,, वह आशीष को यह अहसास कराने की कोशिश कर रहा था कि उसे भी अब अपना घर बसा लेनी चाहिए।
दीपा भी चीकू की ऐसी शरारत भरी बातें सुन कर चुपचाप मुस्करा रही थी । माहौल में अब कुछ हल्कापन आ गया था!
चीकू बचपन से ही इतना शरारती था। कोई भी शरारत करने का मौका मिले तो वह कभी चूकता नहीं था!
दीपा वहाँ से उठते हुए बोली,
" तुम दोनों भाई बातें करों, मैं तुम्हारे पापा को एक बार देख कर आती हूँ।"
" दीपा मासी,,मौसा जी अभी सो रहे हैं! मैं वहीं से आ रहा हूँ। आप न तब तक एक काम कीजिए,,,, हमारे लिए खाने को कुछ बना दीजिए, वही आशीष का फेवरिट पोहा मिल जाता तो---वोह,,, मज़ा आ जाता!! पता है आशीष,,, जब से तू गया है,,, मासी ने फिर कभी पोहा न तो पोहा बनाया और न खाया!"
ओह,,,बहुत ज़ोर से भूख लगी है,, सुबह से कुछ भी नहीं खाया आज !" चीकू ने अपने पेट को सहलाते हुए कहा।
"अच्छा,,,अच्छा,, चीकू, तू बैठ। मैं अभी बनाकर लाती हूँ!" कहती हुई दीपा किचन की ओर चली गई।
दीपा के चले जाने के बाद चीकू आशीष की ओर मुड़कर कहा,
" और बता, यूनान में तेरा कारोबार कैसा चल रहा है? तेरी कोई गर्लफ्रेन्ड बनी कि नहीं? या दिनभर जनाब यूँ ही केवल काम करते रहते हैं--? अच्छा एक बात बता आशीष तू मेरी शादी पर क्यों नहीं आया---?"
" अरे चीकू,,,,, तुझे तो पता है,,मुझे उस समय विज़ा नहीं मिल पाई थी--- मैंने बहुत कोशिश करी थी। इस बार भी कनसूलेट ऑफिस के कितने चक्कर काटने पड़े थे -- ,,, काफी सोर्स लगवाकर,,, पापा की तबीयत बेहद खराब है,,, यही सब बताकर ,,, तब जाकर,,,इंडिया आने की विज़ा मिल पाई मुझे!" आशीष ने अपनी परेशानी बताई।
"पर तू चिंता न कर चीकू,,, मैं जैसे ही चलने फिरने के लायक होता हूँ,,, तेरे घर जाकर भाभी से मिल आऊँगा!" आशीष कहने लगा।
" तू रहने, बेटा! सारिका शाम को मम्मी को लेकर यहाँ आने वाली है,,, तब मिल लियो उससे!" चीकू उससे बोला।
" मासी जी, मौसा जी,, कैसे हैं, रे,,, अरसा हो गया सबसे मिले हुए।" आशीष थोड़ी सी उदासी वाले स्वर में बोला।
" सब ठीक है भाई, बस तू ठीक हो जा,,, मौसा जी को तीन हफ्ते और रेस्ट के लिए बोला है। तू भी रुक जा इंडिया कुछ दिनों तक,,, फिर हम सब मिलकर एक गेट- टूगेदर का प्लाॅन बनाते हैं। कहीं साथ- साथ घूमने भी जा सकते हैं!"
" अरे वाह,,, यह तो बड़ा ही शानदार आइडिया है!" आशीष खुश हो कर बोला।
" और बता चीकू,, स्कूल के सभी दोस्त कैसे हैं,,, तेरी मुलाकात होती हैं, उनसे?"
" अरे कहाँ भाई,, पैसे कमाने के चक्कर में दोस्ती-- वोस्ती के लिए समय नहीं बचा कोई,,, तुझे तो पता ही है आशीष,,,कोरोने के चलते मेरा व्यापार,, बंद पड़ा हुआ है,,,लाॅकडाउन के चलते देश भर की अर्थव्यवस्था की नींव बुरी तुरह से हिल चुकी हैं,,,,।"
" मैंने सुना कि सारिका भाभी भी जाॅब करती हैं?" आशीष बीच में बोल पड़ा था!
" हाँ, वह एक प्राइवेट स्कूल में टीचर है।,,, उन लोगों की भी वाट् लगी हुई है। कम पैसे में दिन भर काम करवाते हैं स्कूल वाले! ,,,,खैर, यह सब छोड़,,, आशीष तुझे वह माहिरा याद है,,, वही जिसका बलात्कार,,, मेरे मतलब रेप,,, हाँ, वही,,, उसकी न कुछ ही दिनों में शादी होने वाली है!"
"" हाँ,,,ऽऽ ओह,,, ऽऽ अच्छा! अच्छी बात है---!" आशीष कुछ याद करके रुक जाता है। उसका चेहरा पलभर में मैला हो जाता है।
क्रमशः
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