अगर मैं डाॅक्टर होती:--
तो स्वर्गीय डाॅक्टर विधान चंद्र राय की तरह होती।
सुबह शाम मुफ्त में गरीबों का इलाज करती।
रोगियों के डाॅक्टर के पास पहुँचने से पहले उनकी पर्ची लिख डालती!!
विदेश से डिग्री लेते समय ऐसा बढ़िया रिजल्ट करती,
कि मुझे सीट देने से पहले मना करनेवाले प्रोफेसर ही मुझे बुलाकर कहते,
" सुनो, आज के बाद तुम्हारी सिफारिश लेकर इस कालेज में प्रवेश हेतु आनेवाले प्रत्येक अभ्यर्थी को बिना परीक्षा के ही प्रवेश मिल जाएगा।"
अपनी माशूका से टूटकर मोहब्बत करती,
और उसके अन्यत्र विवाह हो जाने पर आजीवन अविवाहित रहती।
काँग्रेस पार्टी की ओर से देश की आजादी के लिए लड़ती,
गाँधीजी के आह्वान पर चरखा भी चलाती।
फिर स्वतंत्र भारत के मुख्यमंत्री बनकर अमरीका के राष्ट्रपति से मिलती,
उनकी चिकित्सा कर फीस के रूप में देश के विकास हेतु अनुदान की राशि लेकर लौटती।
अपना पूरा समय देश और राज्य के उन्नयन में व्यतित करती,
चार योजनाबद्ध नगरों का रूपरेखा रखती
और उन्हें तैयार भी करवाती।
उनमें एक का नाम अपनी माशूका के नाम पर कल्याणी भी रखती।
प्नतिभाशाली व्यक्तियों को सम्मान दिलाती,
सत्यजीत राय को "पथेर पाँचाली" बनाने में मदद करती।
भारतरत्न का सम्मान भी हासिल करती,
परंतु साथ में अपना खयाल भी रखती,
पैर में चुभे पिन से सैपटिक न होने देती,
और अपनी लापरवाही के कारण खुद डाॅक्टर होकर भी,
एक रोगी की तरह अपनी मृत्यु को न बुलाती।
* कहीं पर पढ़ा था, जिनका जन्मदिन और मरणदिवस एक ही होता है, वे साधारण मनुष्य नहीं फरिश्ते होते हैं। अब डाॅक्टर विधान चंद्र राय सचमुच किसी फरिश्ते से कम थोड़े ही थे।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
प्रतियोगिता हेतु आई यह प्रथम रचना सचमुच बेहद उत्कृष्ट है। पढ़कर मन भावविभोर हो गया।
बहुत बढ़िया मौमिता जी
Well-done moumita ,ji💐💐
Bhut bdhiya
Bahut achha likha sach aapne
अहा मुझे कुछ नया जानने को मिला, बहुत ही बढ़िया
Bahut achi jaankari di aapne
रचना पसंद करने के लिए आप सभी का तहादिल से शुक्रिया🙏
Bahut umda Likha ....👌👌
Thank you, Annie ji 🙏
बेहतरीन आलेख, बधाई आपको
अर्चना जी, बहुत आभार आपका🙏
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